पुष्कर मेले में इस बार भी ऊंटों का आकर्षण चरम पर है। सीकर के शिशुपाल फौजी का ऊंट ‘बादल’, अपनी शाही साज-सज्जा और अनोखे डांसिंग स्टाइल से लोगों का ध्यान खींच रहा है। सांचौरी नस्ल का यह ऊंट चारपाई पर डांस कर दर्शकों का दिल जीत चुका है। उसकी हर हरकत पर तालियों की गूंज सुनाई देती है। वहीं झुंझुनू जिले के भाकरा गांव से आए ऊंट ‘नागराज’ की भी मेले में खूब चर्चा है। सात साल के नागराज के शरीर पर राजस्थान की लोकसंस्कृति और पारंपरिक कला को बारीकी से उकेरा गया है। इन खूबसूरत ऊंटों को देखने के लिए पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं और उनके साथ तस्वीरें खिंचवा रहे हैं। मालिकों के लिए ये ऊंट केवल जानवर नहीं, बल्कि परिवार के सदस्य जैसे हैं, जिन्हें वे हर साल गर्व के साथ मेले में लेकर आते हैं।
ऊंट को सजाने में लगते हैं 6 घंटे
शिशुपाल फौजी बताते हैं कि उनके ऊंट ‘बादल’ की शाही सजावट कोई आसान काम नहीं है। उसे तैयार करने में करीब 5 से 6 घंटे का समय लगता है। बीते वर्ष हुई ‘ऊंट सजाओ प्रतियोगिता’ में बादल ने पहला स्थान हासिल किया था। नौ साल के बादल की देखभाल परिवार के सदस्य खुद बड़ी लगन से करते हैं। इसकी साज-सज्जा में 101 आर्टिफिशियल ज्वेलरी आइटम्स का इस्तेमाल किया गया है, जिनमें गोरबंद, लटकन, झालरें, झूमर, कुड़ी से सजी कोठा, गर्दन गिरबान, नकेल, पट्टा और फूलों की गोडीया शामिल हैं। बादल की चमकदार पोशाक और राजस्थानी अंदाज उसे मेले का सितारा बना रहे हैं।
चारपाई वाला डांस देखने के लिए जुटी भीड़
‘बादल’ की शाही सजावट में रंग-बिरंगी डोरियों और मखमली कपड़ों का खास इस्तेमाल किया जाता है, ताकि धूप में उसकी चमक दूर से ही नजर आए। हर साल उसके लिए नए डिजाइन और पैटर्न तैयार किए जाते हैं, जिससे बादल की पहचान बाकी ऊंटों से अलग बनी रहती है। चारपाई पर डांस करते बादल को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। बादल की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसे वीआईपी शादियों और सांस्कृतिक आयोजनों में भी विशेष तौर पर सजाकर ले जाया जाता
‘नागराज’ की अद्भुत नक्काशी ने चौंकाया
झुंझुनू जिले के भाकरा गांव का ऊंट ‘नागराज’ भी संचोरी नस्ल का बेहद खास ऊंट है। उसके शरीर पर की गई राजस्थान की पारंपरिक कला और संस्कृति की बारीक नक्काशी पर्यटकों और फोटोग्राफरों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। नागराज के शरीर पर पनिहारी, जिराफ, हाथी, घोड़ा समेत कई सुंदर आकृतियां उकेरी गई हैं, जिन्हें तैयार करने में करीब 25 दिन की मेहनत लगी है। ऊंट मालिक सागर के अनुसार, नागराज अपनी अद्वितीय सुंदरता और कलात्मक डिजाइन की वजह से कई वीआईपी शादियों और पशु प्रतियोगिताओं में इनाम जीत चुका है।
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