राजस्थान का नीला शहर जोधपुर अपनी ऐतिहासिक धरोहर, रंगीन परंपराओं और समृद्ध हस्तशिल्प के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह शहर न सिर्फ किलों और हवेलियों के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी गलियों में बसते हैं राजस्थानी संस्कृति के असली रंग। अगर आप दिल्ली के मशहूर हाट बाजार जैसी रौनक महसूस करना चाहते हैं, तो जोधपुर का घंटाघर बाजार और सोजती गेट मार्केट आपके लिए परफेक्ट जगह है। यहां हस्तनिर्मित वस्त्र, पारंपरिक गहने, राजस्थानी व्यंजन और लोक संस्कृति की झलक एक साथ देखने को मिलती है।

हालांकि राजस्थान में दिल्ली हाट जैसा एकीकृत बाजार नहीं है, लेकिन जोधपुर के घंटाघर बाजार और सोजती गेट मार्केट अपनी रौनक और सांस्कृतिक रंगों के कारण किसी से कम नहीं हैं। यहां की गलियां स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प और पारंपरिक सजावटी वस्तुओं से सजी रहती हैं। खरीदारी के साथ-साथ यहां का जीवंत माहौल पर्यटकों को राजस्थानी जीवनशैली का असली अनुभव कराता है। यही वजह है कि ये बाजार जोधपुर की पहचान बन चुके हैं और शहर को एक पूरा पर्यटन आकर्षण केंद्र बनाते हैं।

जोधपुर का घंटाघर बाजार, जिसे क्लॉक टावर या सरदार मार्केट भी कहा जाता है, शहर की रौनक का केंद्र माना जाता है। 19वीं शताब्दी में बना यह ऐतिहासिक टावर आज भी बाजार की पहचान है। यहां सुबह से देर रात तक खरीददारों की भीड़ लगी रहती है। रंग-बिरंगे दुकानों से सजा यह इलाका अपने राजस्थानी मसालों की खुशबू के लिए मशहूर है। मिर्च, धनिया, जीरा और हल्दी जैसे पारंपरिक मसाले यहां ताजगी और सस्ते दामों में मिलते हैं, जो राजस्थानी पकवानों का स्वाद बढ़ाने का काम करते हैं।

घंटाघर बाजार में मसालों के साथ-साथ पुराने सिक्के, तांबे के बर्तन और एंटीक फर्नीचर भी पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं। यहां की दुकानों पर ब्लॉक प्रिंटेड कपड़े, हैंडलूम साड़ियां और चमड़े के जूते विशेष रूप से पसंद किए जाते हैं। बाजार की संकरी गलियों में घूमते वक्त पारंपरिक राजस्थानी संगीत की मधुर धुनें और स्थानीय कारीगरों की रौनक इस जगह को एक जीवंत सांस्कृतिक अनुभव बना देती हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि घंटाघर बाजार जोधपुर के पर्यटन को नई पहचान देने में अहम भूमिका निभा रहा है, क्योंकि यह मेहरानगढ़ किला और उम्मेद भवन पैलेस जैसे प्रमुख स्थलों के बेहद करीब स्थित है। एक पर्यटक ने बताया, “यहां खरीदारी करते हुए ऐसा लगता है मानो समय ठहर गया हो। माहौल बिल्कुल दिल्ली हाट की तरह सांस्कृतिक उत्सव जैसा महसूस होता है।”

वहीं, सोजती गेट मार्केट जोधपुर का एक और लोकप्रिय और ऐतिहासिक बाजार है, जो अपनी पारंपरिक हस्तशिल्प कला के लिए जाना जाता है। यह जगह हस्तशिल्प प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। यहां दुकानों पर राजस्थानी आभूषण जैसे कंठी माला, चांदी की पायल और रंग-बिरंगी बिंदियां खास आकर्षण हैं। बाजार में बांधनी (टाई एंड डाई) कपड़े, कढ़ाईदार कुर्ते और ऊंट की सवारी वाले सजावटी मॉडल बड़ी संख्या में बिकते हैं, जो हर पर्यटक को राजस्थान की असली झलक दिखाते हैं।

इस बाजार की सबसे खास बात यह है कि यहां स्थानीय कारीगर अपनी बनाई चीजें खुद बेचते हैं, जिससे खरीदारों को असली और पारंपरिक उत्पाद सीधे निर्माता से खरीदने का अवसर मिलता है। सोजती गेट की विशाल मेहराबें और आसपास की पुरानी हवेलियां इस जगह को किसी खुले संग्रहालय जैसा एहसास देती हैं। पर्यटन विभाग के मुताबिक, यह बाजार हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जिससे जोधपुर न केवल खरीदारी का केंद्र बल्कि संस्कृति का प्रमुख गढ़ बनकर उभर रहा है।

ये बाजार केवल खरीदारी की जगह नहीं, बल्कि जोधपुर की जीवंत संस्कृति का अनुभव कराने वाले केंद्र हैं। मेहरानगढ़ किले की ऊंचाइयों से इनकी रौनक और रंगीन चहल-पहल साफ दिखाई देती है। वहीं, रानिसर चौराहे के पास बैठकर पारंपरिक राजस्थानी थाली का स्वाद लेते हुए इन बाजारों की सैर करना किसी सांस्कृतिक उत्सव जैसा अनुभव देता है।

पर्यटकों के लिए सुझाव है कि जोधपुर के इन बाजारों की सैर सर्दियों के मौसम में करें, जब यहां का माहौल रंगों और रौनक से भर जाता है। खरीदारी के दौरान सौदेबाजी जरूर करें, लेकिन उत्पाद की असलियत पर ध्यान देना न भूलें। राजस्थान पर्यटन विभाग इन पारंपरिक बाजारों को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयास में जुटा है, ताकि ये दिल्ली हाट की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ सकें। जोधपुर आकर इन बाजारों का अनुभव लेना मानो राजस्थान की आत्मा से रूबरू होने जैसा है—एक ऐसा सफर, जो यादों में हमेशा के लिए बस जाता है।

