जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में तैनात कॉन्स्टेबल जतन सिंह ने अपनी शादी में अनोखी मिसाल पेश की है। समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ मजबूत संदेश देते हुए उन्होंने विवाह समारोह के दौरान मिले 11 लाख रुपये दहेज के रूप में लेने से इंकार कर दिए। जतन सिंह फिलहाल ब्रह्मपुरी थाने में पदस्थापित हैं और मूल रूप से चूरू जिले के रहने वाले हैं। उनकी बारात झुंझुनूं जिले के बिजौली गांव पहुंची, जहां उनका विवाह पूनम कंवर से हुआ। जतन सिंह के पिता महावीर सिंह ने बेटे के इस कदम पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में बदलाव की शुरुआत ऐसे ही साहसिक फैसलों से होती है।
”दहेज के मामले मेरे सामने आते रहते हैं, इसलिए लिया प्रण”
कांस्टेबल जतन सिंह ने बताया कि पुलिस सेवा में रहते हुए उन्होंने दहेज से जुड़े कई मामलों को नज़दीक से देखा है। उन्होंने कहा कि अक्सर दहेज की मांग को लेकर बेटियों को प्रताड़ित किया जाता है और गरीब माता-पिता पर भारी आर्थिक बोझ डाल दिया जाता है। इसी सोच ने उन्हें शुरुआत से यह संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया कि जब भी वह शादी करेंगे, तो दहेज नहीं लेंगे, बल्कि समाज के सामने एक सकारात्मक उदाहरण पेश करेंगे।
जतन सिंह ने बताया कि जब उनकी शादी तय हुई थी, तभी उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वे दहेज नहीं लेंगे। इसके बावजूद, जब बारात लेकर वे ससुराल पहुँचे तो वधू पक्ष ने परंपरा के तौर पर नकद राशि और कुछ गहने भेंट करने की कोशिश की। मगर जतन सिंह ने बिना किसी हिचकिचाहट के सब कुछ लौटाते हुए कहा कि उनके लिए बेटी ही सबसे बड़ा सम्मान और सौगात है।
”दहेज प्रथा समाज के लिए एक श्राप”
जतन सिंह ने कहा कि अगर उनके इस कदम से सिर्फ दो लोग भी दहेज न लेने की प्रेरणा ले लें, तो उनका उद्देश्य सफल हो जाएगा। उन्होंने दहेज प्रथा को समाज के लिए अभिशाप बताते हुए कहा कि इस कुप्रथा को खत्म करना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। ग्रामीण इलाकों में आज भी दहेज के मामलों में बढ़ोतरी चिंता का विषय है। जतन सिंह ने लोगों से अपील की कि वे बेटी को बोझ नहीं, सम्मान समझें — उसे शिक्षित करें, आगे बढ़ने के अवसर दें और उसके सपनों को साकार करने में साथ दें।
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