Rajasthan Politics: अंता। अंता विधानसभा उपचुनाव से महज एक सप्ताह बचे होने के साथ ही अंता सीट का राजनीतिक माहौल दिन-ब-दिन गर्म होता जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ कई निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक चुके हैं, लेकिन भाजपा कार्यकर्ता एवं स्थानीय नेता अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे की एंट्री का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
प्रचार तेज — हर मोर्चे पर फोर्स तैनात
भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल, विधायक जोराराम कुमावत, मंजू बाघमार व स्थानीय सांसद दुष्यंत सिंह समेत एक दर्जन से अधिक वरिष्ठ नेताओं को प्रचार में लगा दिया है। नेता-कार्यकर्ता रोजाना रैलियाँ, जनसभाएं और घर-घर संपर्क कार्यक्रम चला रहे हैं ताकि वोटरों तक पार्टी का संदेश तेज़ी से पहुंचे।
वसुंधरा राजे की मौजूदगी को अहमियत
इस क्षेत्र में वसुंधरा राजे की व्यापक पकड़ मानी जाती है। वे इस इलाके से पांच बार लोकसभा जीत चुकी हैं और बाद में उनके पुत्र दुष्यंत सिंह लगातार सांसद रहे हैं। स्थानीय कार्यकर्ताओं का मानना है कि राजे का आशीर्वाद तथा उनकी मौजूदगी भाजपा की जीत की संभावनाओं को और मजबूत कर देगी। इसलिए उनके कार्यक्रम का इंतजार मंचों पर, बूथों पर और सोशल सर्किल में देखा जा रहा है।
टिकट और रणनीति
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी पूरी तरह मुकाबले में है और जीत के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही वे यह भी मानते हैं कि जरूरत पड़ने पर वसुंधरा राजे का जुड़ना पार्टी का सवाल बढ़त में बदलने वाला निर्णायक कदम साबित हो सकता है।
कांग्रेस की चुनौतियाँ और तैयारियाँ
कांग्रेस भी भाजपा के इस ताकतवर नेता वसुंधरा राजे की काट ढूँढने में जुटी है। पार्टी की स्थानीय व प्रदेश टीम अपने अभियान को और चुस्त करने, वोटरों तक पहुंच बढ़ाने और चुनावी मुद्दों को उभारने पर काम कर रही है ताकि निर्णायक दिनों तक मुकाबला टिका रहे।
कार्यकर्ता उत्साह और अंतिम दौर की चुनौतियाँ
भाजपा कार्यकर्ता जोर-शोर से मानते हैं कि यदि वसुंधरा राजे समय रहते क्षेत्र में पहुंचकर चुनावी कमान संभालती हैं तो विरोधियों पर भारी प्रभाव पड़ेगा। हालांकि अभी तक राजे का कोई सार्वजनिक कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है, जिससे कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच प्रतीक्षा और उम्मीद दोनों बनी हुई है।
वहीं चुनाव से पहले अंतिम सप्ताह में प्रत्याशियों के लिए घर-घर संपर्क, रोडशो और मतदाताओं के मुद्दों पर स्पष्ट संवाद ही निर्णायक रहने वाला है। अंततः अंता का यह उपचुनाव स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य और बड़े नेताओं की सक्रियता के कारण रोचक मोड़ पर पहुंच गया है और वसुंधरा राजे की अनिर्णीत एंट्री ने इसे और भी संवेदनशील बना दिया है। मतदान से पहले अगले कुछ दिनों में नेताओं के कार्यक्रमों और जनसभाओं की गति यह तय करेगी कि मैदान किस ओर झुकता है।
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