राजस्थान में पिछले एक महीने में हुए बड़ी संख्या में हादसों ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। तेज रफ्तार और लापरवाह ड्राइविंग के चलते अलग-अलग घटनाओं में 60 से ज्यादा लोगों की जान चली गई, वहीं कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। लगातार हो रहे इन हादसों पर सरकार और विपक्ष दोनों गंभीर नजर आ रहे हैं।
सोमवार देर शाम मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उच्च स्तरीय बैठक कर सड़क सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को लेकर गहन मंथन किया और अधिकारियों को कई सख्त निर्देश जारी किए। इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी चिंता जताई और राज्य सरकार से SIT गठित कर हादसों की जांच करवाने की मांग की, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
राजस्थान में बीते दिनों ये बड़े हादसे
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5 अक्टूबर, जयपुर (SMS अस्पताल): न्यूरो ICU में आग, 8 मरीजों की मौत
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14 अक्टूबर, जैसलमेर: चलती स्लीपर बस में आग, 28 लोगों की मौत
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28 अक्टूबर, मनोहरपुरा (जयपुर): बस हाईटेंशन लाइन की चपेट में, 3 की मौत
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31 अक्टूबर, अलवर: तेज रफ्तार थार ने बाइक को मारी टक्कर, 4 लोगों की मौत
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1 नवंबर, फलोदी: टेंपो ट्रैवलर ट्रक से टकराया, 15 लोगों की मौत, ज्यादातर महिलाएं व बच्चे
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3 नवंबर, हरमाड़ा (जयपुर): तेज रफ्तार डंपर ने 17 वाहनों को रौंदा, 14 लोगों की मौत
 
इन हादसों की वजहों में अधिक गति, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, वाहन सुरक्षा की कमी, और प्रशासनिक निगरानी में ढिलाई सामने आई है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि देश में हर साल 1.5 लाख से अधिक मौतें सड़क हादसों में होती हैं, जिनमें करीब 10 हजार मौतें राजस्थान में होती हैं। उन्होंने कहा कि कई हादसों में निर्दोष भी अपनी जान गंवा देते हैं। गहलोत ने कहा “पीडब्ल्यूडी, ट्रांसपोर्ट और पुलिस समेत कई विभाग सड़क सुरक्षा से जुड़े हैं। सरकार को इन सभी विभागों की SIT बनाकर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। लापरवाही पर सख्त कार्रवाई और व्यापक जनजागरूकता अभियान जरूरी है।”
सरकार सक्रिय
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अधिकारियों को स्पीड कंट्रोल, फायर सेफ्टी, ट्रैफिक मॉनिटरिंग और इमरजेंसी रेस्पॉन्स को लेकर ठोस प्लान बनाने का निर्देश दिया है। राज्य में बढ़ते हादसों ने सरकार को सतर्क कर दिया है और अब सड़कों पर सुरक्षा और अनुशासन बढ़ाने की तैयारी है।
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