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Tuesday, November 4, 2025

Rajasthan Teacher Bharti 2025: इतिहास में सबसे कम पदों वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा! महज …. पदों के लिए एग्जाम

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Rajasthan Teacher Recruitment 2025: राजस्थान में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का इतिहास इस बार भी युवाओं के लिए उम्मीद तोड़ने वाला है. महज 7,500 पदों पर नई भर्ती हो रही है. जबकि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हजारों पद पहले से ही रिक्त हैं. बीते एक दशक में कभी 50,000 से ज्यादा तो कभी 10,000 से नीचे भर्तियां हुईं. इस बार की लिमिटेड संख्या ने ना सिर्फ बेरोजगारों बल्कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था दोनों को चिंता में डाल दिया है.

वर्तमान में लेवल-2 (कक्षा 6-8) के करीब 5,000 पद इसलिए खाली हैं. क्योंकि सरकार ने समय पर पदोन्नति प्रक्रियाएं पूरी नहीं कीं. लंबे समय से प्रमोशन पेंडिंग रहने से बेसिक स्कूलों के सीनियर टीचर पद रिक्त हैं. जबकि नए उम्मीदवारों के चयन के लिए पद सीमित कर दिए गए हैं. यदि प्रमोशन समय पर होता, तो इन 5,000 पदों की सीधी भर्ती के द्वार भी खुल सकते थे. इससे बेरोजगार युवाओं और शिक्षा दोनों को राहत मिलती.

सरकार ने दावा किया कि 2027 तक दोहराई जाने वाली प्रक्रिया और राज्य में 50% तक पदों के इजाफे की तैयारी की जा रही है. ताकि भविष्य में रिक्तियों की भरपाई हो सके. यह दीर्घकालिक प्लानिंग तो है. लेकिन फिलहाल जिन जिलों और स्कूलों में शिक्षकों की सख्त जरूरत है, वहां न तो भर्ती हो रही, न पदोन्नति. हालांकि इसमें एक मामला कोर्ट में लंबित प्रक्रिया का भी है.

3rd Grade Teacher Vacancy
फोटो- मेटा AI

भर्ती प्रक्रिया का शॉर्ट नोटिफिकेशन जुलाई 2025 में जारी हुआ जिसमें केवल 7,759 पद हैं. REET मेन्स की परीक्षा जनवरी 2026 में, रिजल्ट जुलाई 2026 में और फाइनल नियुक्तियां 2027 तक पहुंच सकती हैं. तब तक सैकड़ों पद और खाली हो जाएंगे या फिर शिक्षा की क्वालिटी प्रभावित होगी.

भर्तियों की संख्या में गिरावट और प्रमोशन की लेटलतीफी से सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीण क्षेत्रों और सरकारी स्कूलों को हो रहा है. लाखों बीएड, BSTC पास युवा नौकरी के लिए भटक रहे हैं. वहीं बच्चों की पढ़ाई पर सीधा असर हो रहा है. पुरानी भर्ती प्रक्रिया में अगर सिस्टम सजग रहता, तो नए युवाओं को और मौका मिल सकता था.

सरकार की 2027 तक की दीर्घकालिक नीति और 50% पद बढ़ाने का वादा सराहनीय तो है. मगर मौजूदा पूरी भर्ती की तस्वीर से साफ है कि अभी भी भर्ती और पदोन्नति, दोनों व्यवस्थाओं के परस्पर समन्वय की बेहद कमी है. नतीजा ये युवाओं में नाराजगी, स्कूलों में खाली पद और ग्रामीण शिक्षा पर गहरा असर. अगर समय रहते पदोन्नति प्रक्रिया पेंडिंग न रहती, तो इस साल के भर्ती ग्राफ में बड़ी राहत जरूर दिखती.

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