Jaipur Accident Controversy: राजस्थान में सड़क हादसे लगातार बढ़ते जा रहे हैं और हालात चिंताजनक हो चुके हैं। पिछले कुछ सप्ताह में ही राज्य में दर्जनों लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है। ऐसे में प्रदेश की कानून-व्यवस्था और सड़क सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच सरकार की जिम्मेदारी को लेकर उठे सवालों पर हुए बयान विवाद ने जनता का गुस्सा और भड़का दिया है।
एक के बाद एक दर्दनाक घटनाएं
पिछले दिनों बैक-टू-बैक हुए हादसों ने राज्य को हिलाकर रख दिया। जयपुर में भीषण सड़क हादसे ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। वहीं, कोटा और बाड़मेर में हुए दुर्घटनाओं में भी कई लोगों की जान गई। इन घटनाओं के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार के दावे कागज़ों से बाहर क्यों नहीं निकल पा रहे?
मंत्रियों के बयान ने बढ़ाया विवाद
हादसों पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर बयान ने विवाद को और हवा दी। उन्होंने कहा— “अगर कोई दारू पीकर गाड़ी चलाए, तो उसमें विभाग की क्या गलती?” चंद घंटों में यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े हो गए। लोग कहने लगे कि हादसों को निजी गलती बताकर सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रही है।
सत्ता पक्ष का बचाव, विपक्ष का हमला
विवाद बढ़ने के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ मंत्री के समर्थन में उतर आए। उनका कहना था कि हर वाहन चालक की निगरानी संभव नहीं है, और जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उन्होंने कहा- ‘क्या सरकार हर ड्राइवर के पीछे एक इंस्पेक्टर लगाए? उसे क्या पता कौन शराब पीकर गाड़ी चला रहा है?’ राठौड़ के इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया। विपक्ष ने इसे ‘जिम्मेदारी से भागने’ वाला रवैया बताया. कांग्रेस प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा- ‘यह बयान नहीं, लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश है. जब मंत्री और नेता जवाबदेही से बचेंगे, तो अफसर कैसे जिम्मेदार होंगे?’
जनता में रोष: सुरक्षित सड़कें कब?
जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि आखिर सड़क पर सुरक्षित सफर की गारंटी कौन देगा? लोग कह रहे हैं, “राज्य में नशे पर नियंत्रण, मॉनिटरिंग, वाहन सुरक्षा, सड़क मानकों, और ट्रैफिक सिस्टम की जिम्मेदारी किसकी है? केवल ड्राइवरों को दोषी ठहराकर क्या सरकार बच सकती है?” आज राजस्थान की सड़कें यही पूछ रही हैं— “हादसों का दोषी कौन—बेकाबू वाहन चालक, लापरवाह सिस्टम या वो सोच जो हादसों को नियति मान लेती है?”
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