राजस्थान ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत राज्य में एक लाख से अधिक घरों की छतों पर रूफटॉप सोलर पैनल स्थापित किए जा चुके हैं। यानी अब ये घर अपनी बिजली स्वयं सूर्य की रोशनी से उत्पन्न कर रहे हैं। ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस उपलब्धि के साथ राजस्थान अब गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और केरल के बाद देश में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश में सौर ऊर्जा के विस्तार की गति उल्लेखनीय रूप से तेज हुई है।
सीधा लाभ, जनता के खाते में
यह उपलब्धि प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों — जयपुर, अजमेर और जोधपुर डिस्कॉम — के समन्वित प्रयासों से संभव हुई है। जयपुर डिस्कॉम क्षेत्र में 33,922 घरों, अजमेर में 32,957 घरों और जोधपुर में 33,378 घरों की छतों पर सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं। इनकी संयुक्त उत्पादन क्षमता लगभग 408 मेगावॉट है। योजना का सबसे आकर्षक पहलू है केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दी जा रही वित्तीय सहायता। उपभोक्ताओं को सोलर पैनल लगाने पर अधिकतम ₹78,000 तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। अब तक प्रदेश में 86,307 लाभार्थियों के बैंक खातों में ₹672 करोड़ की सब्सिडी सीधे ट्रांसफर की जा चुकी है।
सौर ऊर्जा की रफ्तार हुई दोगुनी
योजना के प्रारंभ होने के बाद राज्य में सौर ऊर्जा की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। प्रारंभिक चरण में जहां प्रतिमाह औसतन केवल 37 रूफटॉप सोलर पैनल स्थापित हो रहे थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर प्रति माह 10,000 से अधिक हो गई है। डिस्कॉम कंपनियों ने इस प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने के लिए कई नवाचार अपनाए हैं — जैसे कर्मचारियों के लिए “सोलर चैंपियन अवॉर्ड” की शुरुआत तथा बिलिंग और मीटरिंग की प्रक्रिया को सुगम बनाना। विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रयासों के साथ राजस्थान अब सिर्फ मरुस्थलीय प्रदेश नहीं, बल्कि ‘सोलरिस्तान’ के रूप में उभरने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है।
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