सीकर जिले के श्रीमाधोपुर में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। यहां 18 वर्षीय युवक मेघराज पटवा के पास सात मतदाता पहचान पत्र (EPIC कार्ड) पाए गए।
जांच में पता चला कि मेघराज ने पिछले साल चुनाव आयोग के ऑनलाइन पोर्टल पर फॉर्म-6 कई बार भरा, जिससे उसे सात अलग-अलग वोटर कार्ड जारी हो गए। इस घटना ने इलाके में सियासी हलचल पैदा कर दी है।
श्रीमाधोपुर के इस मामले पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरा। इंडियन यूथ कांग्रेस ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि 18 वर्षीय मेघराज पटवा ने वोटर आईडी के लिए आवेदन किया था,
लेकिन उसके घर 7 अलग-अलग कार्ड पहुंच गए, जिन पर अलग-अलग EPIC नंबर दर्ज थे। जब मेघराज ने इसकी शिकायत की, तो स्थानीय प्रशासन कार्रवाई करने की बजाय उस पर दबाव डालने लगा कि वह इस वोटर फ्रॉड को छुपाए।
चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
यूथ कांग्रेस ने कहा कि अगर चुनाव आयोग की गलती से किसी एक नागरिक को 7 बार वोट डालने का मौका मिल सकता है, तो भाजपा के दबाव में उनके कार्यकर्ता सैकड़ों फर्जी वोट बनाकर थोक में मतदान कर सकते हैं।
राहुल गांधी ने भी इसी तरह की बातें उजागर की थीं। उनका आरोप है कि फर्जी वोटर आईडी और डुप्लिकेट वोट जैसे मामले लोकतंत्र की अवमानना हैं, और आज का चुनाव आयोग भारतीय लोकतंत्र के इतिहास की सबसे कलंकित संस्था बन गया है।
चुनाव विभाग के अधिकारी ने बताया कि मेघराज पटवा के पास सात अलग-अलग वोटर कार्ड मिले हैं, जिनमें से छह कार्डों की तस्वीर एक जैसी है।
अधिकारी ने कहा कि जब मेघराज 17 साल के थे, उन्होंने गलती से फॉर्म-6 सात बार भर दिया था। सभी ये कार्ड पिछले साल ही जारी किए गए थे।
BLO के खिलाफ कार्रवाई तय
अधिकारी ने बताया कि इस मामले में उस BLO (ब्लॉक लेवल अधिकारी) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसने बिना जांच के सभी सात आवेदन मंजूर कर दिए। BLO की जिम्मेदारी थी कि वह मतदाता सूची की जांच करे और डुप्लीकेट आवेदन रद्द करे।
उसकी इस लापरवाही पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मेघराज पटवा ने SIR के दौरान केवल एक फॉर्म भरा है, और उसके बाकी डुप्लीकेट नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे।
4.25 करोड़ फॉर्म वितरित
राजस्थान में SIR की प्रक्रिया 4 नवंबर से चल रही है। यह दूसरे चरण का हिस्सा है, जिसमें BLO घर-घर जाकर मतदाताओं को एन्यूमरेशन फॉर्म (EF) बांट रहे हैं। अब तक 4.25 करोड़ से ज्यादा फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं, जो राज्य के 78 फीसदी मतदाताओं को कवर करते हैं।
इस मामले में झालावाड़ सबसे आगे है, जबकि झुंझुनूं पीछे चल रहा है। लक्ष्य दिसंबर की शुरुआत तक घर-घर सत्यापन और डेटा डिजिटलीकरण पूरा करना है। विभाग ने बताया कि लगभग 3.87 करोड़ मतदाताओं को किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उन्हें पहले ही एक आंतरिक सर्वे में सत्यापित किया जा चुका है।
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