Panchayat Election Rajasthan: राजस्थान की करीब 7 हजार ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त हैं। सरपंचों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्य सरकार ने चुनाव कराने के बजाय प्रशासकों को जिम्मेदारी सौंप दी थी। इसी तरह जयपुर सहित कई शहरी निकाय भी लंबे समय से प्रशासकों के भरोसे ही चल रहे हैं। पंचायत और निकाय चुनाव से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि 15 अप्रैल 2026 तक चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाए।
संविधान का उल्लंघन बताते हुए याचिकाएं दायर
पूर्व विधायक संयम लोढा सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव न कराकर सरकार मनमानी कर रही है। संयम लोढ़ा के वकील एडवोकेट प्रेमचंद देवंदा ने कोर्ट में दलील दी कि संविधान के अनुच्छेद 243-E, 243-K और राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 17 के अनुसार पंचायत का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होते ही बिना एक दिन की देरी के चुनाव कराना अनिवार्य है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार ने 16 जनवरी 2025 की अधिसूचना के जरिए चुनाव स्थगित कर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
सरकारी वकील ने दिए ये पक्ष
सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की ओर से यह तर्क दिया गया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 17 नए जिले बनाए थे।वर्तमान सरकार ने इनमें से 9 जिलों को निरस्त किया। ऐसे में पंचायतों और निकायों का नया सीमांकन (परिसीमन) चल रहा है, जिसमें समय लग रहा है। साथ ही राज्य सरकार One State One Election की योजना पर कार्य कर रही है, ताकि बार-बार चुनाव कराने की समस्या खत्म हो सके। इन्हीं परिस्थितियों के चलते पंचायतों और निकायों में प्रशासक नियुक्त किए गए थे।
निर्धारित समय में चुनाव कराना चुनौतीपूर्ण
हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 31 दिसंबर 2025 तक परिसीमन सहित सभी तैयारियाँ पूरी की जाएं, और 15 अप्रैल 2026 तक चुनाव संपन्न करा दिए जाएं लेकिन सरकार के लिए यह समयसीमा चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। हाईकोर्ट के आदेश से ठीक एक दिन पहले ही नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बयान दिया कि परिसीमन का काम पूरा होने में 3–4 महीने लग सकते हैं।
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