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Monday, December 1, 2025

Jalore Land Scam: 100 करोड़ का लैंड स्कैम, तहसीलदार-SDO पर रातों-रात सरकारी जमीन हड़पने का आरोप

NewsJalore Land Scam: 100 करोड़ का लैंड स्कैम, तहसीलदार-SDO पर रातों-रात सरकारी जमीन हड़पने का आरोप

Jalore News: राजस्थान के जालोर जिले स्थित आहोर नगरपालिका क्षेत्र में करीब 100 करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी भूमि पर कब्जे का एक बड़ा और चौंकाने वाला घोटाला उजागर हुआ है। आरोप है कि इस अवैध भूमि हस्तांतरण में नगरपालिका प्रशासन, राजस्व विभाग के अधिकारियों और भूमाफियाओं की गहरी मिलीभगत रही है।

शिवसेना ने ACB को सौंपा ज्ञापन

शिवसेना (UBT) के जिला प्रमुख रूपराज पुरोहित ने सोमवार को जयपुर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के महानिदेशक को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। पुरोहित का आरोप है कि सरकारी भूमि को निजी व्यक्तियों के नाम कर, सार्वजनिक संपत्ति को अवैध रूप से हड़पने का षड्यंत्र रचा गया है। उन्होंने सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

घोटाला कैसे हुआ? 

ज्ञापन के मुताबिक विवादित भूमि खसरा संख्या 313, 314 और 316 की है। यह भूमि साल 1977 में दानपत्र के माध्यम से नगरपालिका को हस्तांतरित की गई थी। मूल रकबा 11 बीघा 19 बिस्वा था आरोप है कि राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी कर इसे 19 बीघा दर्शा दिया गया। इसी “बढ़े हुए रकबे” के आधार पर करीब 8 बीघा अतिरिक्त भूमि को निजी व्यक्तियों के नाम अवैध रूप से कर दिया गया। शिवसेना का कहना है कि यह घोटाला बिना प्रशासनिक मिलीभगत के संभव ही नहीं था।

‘रातों-रात’ नामांतरण

ज्ञापन में यह भी दावा किया गया है कि 3 नवंबर 2025 के अदालती आदेश की गलत व्याख्या की गई। इसके आधार पर तहसीलदार और उपखंड अधिकारी, आहोर ने 10 नवंबर 2025 को रातों-रात अवैध म्यूटेशन कर दिया। इस गुप्त प्रक्रिया के बाद सरकारी भूमि निजी व्यक्तियों के नाम कर दी गई। यह कार्रवाई अधिकारियों की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

ACB महानिदेशक का आश्वासन

ACB महानिदेशक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा “दोषियों को किसी भी स्थिति में नहीं बख्शा जाएगा। सभी रिकॉर्ड्स की जांच कर सत्य सामने लाया जाएगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई हमारी शीर्ष प्राथमिकता है।”

स्थानीय नागरिकों में आक्रोश

घोटाले के सामने आने के बाद क्षेत्र में भारी आक्रोश व्याप्त है। नागरिकों का कहना है यह सिर्फ जमीन नहीं, बल्कि जनता की संपत्ति को निजी हितों में सौंपने का प्रयास है। दोषी अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए। अवैध रूप से नामांतरण की गई भूमि को फिर से नगरपालिका के नाम दर्ज किया जाए। पूरे प्रकरण की CBI या ACB से निष्पक्ष जांच कराई जाए। स्थानीय लोग इस मामले को जालोर जिले के इतिहास का सबसे बड़ा भूमि घोटाला बता रहे हैं।

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