राजस्थान सहित देश के 13 राज्यों में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान बीएलओ को लोगों से फॉर्म भरवाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
काम का बढ़ता दबाव इतना ज्यादा है कि कुछ जगहों पर बीएलओ की मौत और आत्महत्या जैसी चिंताजनक खबरें भी सामने आई हैं। टोंक से आया एक वीडियो भी चर्चा में है, जिसमें डारदा तुर्की गांव के बीएलओ रतन लाल जाट खेतों में जाकर फॉर्म भरवाते नजर आते हैं।
यह पूरा मामला व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है कि आखिर इतनी महत्वपूर्ण प्रक्रिया के दौरान कर्मचारियों को किन परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है।
मिन्नतें करते दिखे बीएलओ
गांवों और शहरों में बीएलओ को घर-घर जाकर मतदाताओं से फॉर्म भरवाने के लिए लगातार समझाइश करनी पड़ रही है। शारीरिक शिक्षक रतन लाल जाट को ककराज खुर्द और खेडूल्ला गांव में करीब 900 मतदाताओं तक पहुंचने की जिम्मेदारी मिली है।
कई जगह किसान साफ कह देते हैं कि उनके पास अपने कामकाज से फुर्सत नहीं है और सरकारी औपचारिकताओं से उनकी रोज़ी-रोटी नहीं चल सकती। ऐसे हालात में रतन लाल जाट जैसे बीएलओ सिर्फ इतना ही कह पाते हैं कि यह सरकारी दायित्व है और हर परिस्थिति में पूरा करना जरूरी है।
आपका काम, हमारा जिम्मा साथ
जब ग्रामीण ने फॉर्म भरने में असमर्थता जताई, तो बीएलओ ने स्थिति को सहज बनाने के लिए खुद फावड़ा उठा लिया और खेत की खुदाई में किसान का हाथ बंटाने लगे।
उन्होंने किसान से कहा कि जैसा आपका काम महत्वपूर्ण है, वैसे ही सरकार का यह दायित्व भी जरूरी है। बीएलओ बार-बार समझाते रहे कि वे किसान का काम निपटाने में मदद कर देंगे, बस वह फॉर्म भरने में सहयोग कर दे।
इसी बातचीत के बीच बीएलओ खेत में वास्तविक तौर पर काम करने लगे, ताकि किसान को यह महसूस हो कि प्रशासन भी उसके समय और श्रम की कद्र करता है।


