राजस्थान के सीकर जिले में श्रीमाधोपुर क्षेत्र बुधवार शाम एक तनावपूर्ण स्थिति का केंद्र बन गया, जब प्रशासन सरकारी रास्ते पर किए गए लगभग तीन दशक पुराने अतिक्रमण को हटाने पहुंचा। हाई कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद डेरावाली गांव के ग्रामीणों ने कार्रवाई का तीखा विरोध किया।
स्थिति तब और गंभीर हो गई जब महिलाएं बुलडोजर के सामने खड़ी होकर रास्ता रोकने लगीं, जबकि पुरुषों ने सड़क पर आग लगाकर अपना विरोध प्रकट किया। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में करीब दो घंटे तक चली यह कार्रवाई प्रशासन की दृढ़ता और ग्रामीणों के प्रतिरोध के बीच लगातार टकराव जैसी परिस्थितियों में आगे बढ़ी।
विरोध की अगुवाई करती महिलाएँ
कार्रवाई ग्राम पंचायत कल्याणपुरा की ढाणी डेरावाली में स्थित एक सार्वजनिक मार्ग पर चल रही थी, जिस पर लंबे समय से अवैध कब्जा बताया जाता है। जैसे ही पुलिस बल के साथ जेसीबी मशीनें मौके पर पहुंचीं, ग्रामीण बड़ी संख्या में एकजुट होकर विरोध के लिए सामने आ गए।
विरोध की शुरुआत महिलाओं ने की, जो सबसे आगे आकर बुलडोजर के मार्ग में खड़ी हो गईं। कई महिलाएं सीधे जेसीबी के बिलकुल सामने बैठ गईं, जिससे प्रशासन के लिए कार्रवाई आगे बढ़ाना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया।
सड़क पर आगजनी से उग्र प्रदर्शन
महिलाओं द्वारा रास्ता अवरुद्ध किए जाने के तुरंत बाद पुरुष भी खुलकर विरोध में उतर आए। कुछ ग्रामीणों ने सड़क पर आग लगाकर अपना रोष जताया, जिससे मौके का माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया।
सड़क के बीच उठती लपटें स्थिति की गंभीरता को साफ दिखा रही थीं। प्रशासन के सामने चुनौती यह थी कि कानून-व्यवस्था को संभालते हुए हाई कोर्ट के आदेश का पालन भी सुनिश्चित किया जाए।
पांच थानों का पुलिस बल तैनात
प्रशासन ने संभावित विरोध को भांपते हुए पहले से ही व्यापक तैयारियां कर रखी थीं। हाई कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए श्रीमाधोपुर, अजीतगढ़, थोई, जाजोद और नीमकाथाना सहित कई थानों से सैकड़ों पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया था।
उपखंड अधिकारी अनिल कुमार, सहायक कलेक्टर ज्वाला सहाय मीणा और एएसपी गिरधारी लाल शर्मा सहित वरिष्ठ अधिकारी खुद हालात की निगरानी कर रहे थे।
शुरू में पुलिस ने ग्रामीणों को समझाकर शांत कराने का प्रयास किया और कोर्ट के निर्देशों की अनिवार्यता बताई, लेकिन विरोध जारी रहने पर पुलिस ने संयम रखते हुए स्थिति को नियंत्रित किया और किसी भी तरह की बल प्रयोग की स्थिति पैदा होने से बचाया।
तीन दिन में रिपोर्ट जरूरी
ग्रामीणों के कड़े विरोध के बावजूद प्रशासन की कार्रवाई जारी रही, क्योंकि मामला राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर बेंच के स्पष्ट और सख्त निर्देशों से संबंधित था। परिवादी मुकेश सामोता की याचिका पर अदालत ने आदेश दिया था
कि यदि अपीलीय अदालत से कोई स्थगन नहीं मिलता, तो तीन दिनों के भीतर अतिक्रमण हटाकर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इसी निर्देश के पालन में प्रशासनिक टीम ने जेसीबी की सहायता से कच्चे-पक्के सभी अवैध निर्माणों को ढहा दिया। करीब दो घंटे की खींचतान के बाद सरकारी मार्ग पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया।
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