बहराइच (उप्र), नौ जून (भाषा) बहराइच जिले में कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के कोर क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध लक्कड़ शाह बाबा की मजार सहित चार मजारों को वन विभाग ने ‘अतिक्रमण’ घोषित करते हुए बुलडोजर (जेसीबी) का इस्तेमाल करके गिरा दिया है। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी है।
कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) बी. शिवशंकर ने पत्रकारों को बताया, ‘कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग की मुर्तिहा रेंज अंतर्गत बीट संख्या 20 में स्थित लक्कड़शाह, भंवरशाह, चमन शाह व शहनशाह की मजारें मौजूद थीं। ये सभी मजारें जंगल क्षेत्र में हैं।”
उन्होंने बताया कि यद्यपि मजार कमेटी ने इन मजारों के संबंध में 1986 के वक्फ बोर्ड पंजीकरण की एक प्रति उपलब्ध कराई थी, लेकिन वे स्वामित्व या भूमि अधिकार का कोई कानूनी सबूत देने में विफल रहे।
इस संबंध में एक प्रेस वार्ता का आयोजन कलेक्टरेट सभागार में किया गया, जिसमें जिलाधिकारी मोनिका रानी और पुलिस अधीक्षक भी मौजूद थे।
शिवशंकर ने बताया, ‘वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत वन क्षेत्र में किसी जमीन का गैर वानिकी उद्देश्य के लिये इस्तेमाल करने से पूर्व भारत सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है। ऐसी कोई अनुमति इन्हें प्राप्त नहीं थी। इन्हीं कारणों के चलते मजारों को अतिक्रमण घोषित कर उन्हें रविवार को गिराया गया।’
डीएफओ ने बताया कि मजार कमेटी ने इससे पहले विभाग की कार्रवाई के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली।
उन्होंने बताया कि जिस स्थान से अतिक्रमण हटाया गया है, वहां सुरक्षा कारणों से वन विभाग के कर्मचारियों, स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स, पुलिस व पीएसी की तैनाती की गयी है।
मजार क्षेत्र में आम जनता व मीडिया के प्रवेश पर रोक के सवाल पर डीएफओ ने कहा कि जंगल क्षेत्र में जंगली जानवर होने के कारण मानव वन्यजीव संघर्ष की परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए लोगों के वहां जाने पर रोक लगाई गयी थी।
जिलाधिकारी मोनिका रानी ने निर्देश दिया कि वन सुरक्षाकर्मियों की देख-रेख में थोड़ी थोड़ी संख्या में मीडियाकर्मियों को ले जाकर निरीक्षण कराया जाए।
इस संबंध में मजार कमेटी के सचिव इसरार ने पत्रकारों से कहा कि मजार पर 16वीं सदी से उर्स मनाया जा रहा था, जिस पर वन विभाग ने हाल में रोक लगा दी थी।
पिछले माह जब मजार पर लगने वाले मेले पर वन विभाग ने रोक लगाई थी, तब मजार प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष रईस अहमद ने कहा था, ‘ हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक इस दरगाह पर दोनों धर्म के लोगों की आस्था है, जहां 40 प्रतिशत मुस्लिम और 60 प्रतिशत हिंदू लोग आते हैं। सदियों से यहां मेले लगते रहे हैं। जो वन विभाग अभी तक यहां नीलामी के जरिये ठेके देता था, ‘वर्क ऑर्डर’ जारी करता था, वही अब इसे अतिक्रमण बता रहा है।’’
इससे पहले, पिछले माह बहराइच की मशहूर सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह पर ज्येष्ठ माह में लगने वाले मेले पर सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए प्रतिबंध लगा दिया गया था।
भाषा सं जफर
नरेश दिलीप
दिलीप