(प्रमोद कुमार)
पटना, नौ जून (भाषा) बिहार सरकार ने भोजपुर जिले में नथमलपुर भागड़ आर्द्रभूमि के लिए एक बड़ी संरक्षण परियोजना शुरू की है। यह राज्य में पहली ऐसी पहल है, जिसे केंद्र सरकार के 100 प्रतिशत वित्तपोषण से विकसित किया जाएगा।
राज्य सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (डीईएफसीसी) को दो जून को केंद्र से नमामि गंगे मिशन (एनजीएम)-2 के तहत ‘नथमलपुर भागड़ (आर्द्रभूमि) के संरक्षण और सतत प्रबंधन’ के लिए प्रशासनिक अनुमोदन और व्यय मंजूरी प्राप्त हुई थी।
आधिकारिक अनुमोदन पत्र के अनुसार, डीईएफसीसी परियोजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में काम करेगा और समन्वय एवं क्रियान्वयन का कार्य मुख्य वन संरक्षक-सह-राज्य नोडल अधिकारी/बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण के सदस्य सचिव द्वारा किया जाएगा।
आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘किसी विशेषज्ञ संगठन या एजेंसी से तकनीकी सहायता मांगी जा सकती है। राष्ट्रीय गंगा योजना (एनजीएम-2 बजट मद) के तहत 3.51 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्वीकृत यह परियोजना चार वर्षों – 2025-26 से 2028-29 तक दो चरणों में पूरी होगी। पहला चरण 2025-26 और दूसरा चरण चरण 2026 से 2029 तक होगा।’’
इस संबंध में डीईएफसीसी की अतिरिक्त मुख्य सचिव हरजोत कौर बमराह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह एक बड़ी उपलब्धि है। भोजपुर स्थित नथमलपुर भागड़ बिहार में पहली आर्द्रभूमि संरक्षण परियोजना है, जिसे केंद्र सरकार के 100 प्रतिशत वित्तपोषण से विकसित किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि यह पहल नदी बेसिन संरक्षण और विकास योजना में जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवा मूल्यों को एकीकृत करने पर केंद्रित है।
इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए मुख्य वन संरक्षक तथा पर्यावरण एवं आर्द्रभूमि के नोडल अधिकारी (बिहार) एस. चंद्रशेखर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि यह बिहार की पहली आर्द्रभूमि है, जिसका संरक्षण 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण से किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नथमलपुर भागड़ का संरक्षण और सतत प्रबंधन करते हुए स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नीतियों तथा नियामक ढांचे का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाएगा।
फरवरी में विधानसभा में पेश बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, ‘‘राष्ट्रीय आर्द्रभूमि मानचित्रावली (एनडब्ल्यूए)-2010 के अनुसार, बिहार में 4,416 आर्द्रभूमि हैं, जिनमें से प्रत्येक कम से कम 2.25 हेक्टेयर में फैली है। इसके अतिरिक्त, राज्य में लगभग 17,582 छोटी आर्द्रभूमि (2.25 हेक्टेयर से कम) भी मौजूद हैं।’’
भाषा
नेत्रपाल दिलीप
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