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Tuesday, September 2, 2025

हम बिहार में 40-45 सीट पर लड़ना चाहते हैं विधानसभा चुनाव: भाकपा (माले) लिबरेशन महासचिव

Newsहम बिहार में 40-45 सीट पर लड़ना चाहते हैं विधानसभा चुनाव: भाकपा (माले) लिबरेशन महासचिव

(फाइल फोटो के साथ)

पटना, 10 जून (भाषा) भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी का बिहार में 40 से 45 सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ने का लक्ष्य है।

भट्टाचार्य ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम विधानसभा चुनाव में लगभग 40-45 सीट पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं।’’

भाकपा (माले) लिबरेशन एक प्रमुख वामपंथी पार्टी है तथा फिलहाल बिहार में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन का तीसरा सबसे बड़ा घटक है।

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में इस वामदल के फिलहाल 11 विधायक हैं, जो 2020 के चुनाव में उसके अब तक के सर्वश्रेष्ठ चुनावी प्रदर्शन की बदौलत है। तब उसने 19 सीट पर चुनाव लड़ा था।

पिछले विधानसभा चुनाव में भाकपा (माले) लिबरेशन ने कुल 12 सीट जीती थीं, लेकिन उसके एक विधायक सुदामा प्रसाद लोकसभा के लिए निर्वाचित हो गए। बाद में भाकपा (माले) लिबरेशन उपचुनाव में तरारी सीट भाजपा के हाथों हार गयी।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में महागठबंधन में चर्चा एक साझा एजेंडे को आकार देने और सीट बंटवारे के फार्मूले के इर्द-गिर्द केंद्रित होगी।’’

बिहार में ‘इंडिया’ गठबंधन में राजद, कांग्रेस और भाकपा (माले) के अलावा माकपा, भाकपा और राज्य के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी भी शामिल हैं। बिहार में विपक्ष के इन प्रमुख दलों ने पिछला विधानसभा चुनाव ‘महागठबंधन’ के तहत लड़ा था। तब विकासशील इंसान पार्टी इस गठबंधन का हिस्सा नहीं थी।

भाकपा (माले) लिबरेशन नेता ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करने के लिए 18 से 27 जून तक राज्यव्यापी अभियान चलाएगी, जिसका शीर्षक होगा ‘बदलो सरकार, बदलो बिहार।’

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भट्टाचार्य ने आरोप लगाया, ‘‘विकास और सुशासन के नाम पर इस सरकार ने सामंती उत्पीड़न को बढ़ावा दिया है। राज्य में अराजकता है। कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और महिलाओं पर यौन हमले की घटना आम बात हो गई है।’’

उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर भी हमला किया और आरोप लगाया कि ‘‘भाजपा के पास अपने दम पर बहुमत नहीं होने के बावजूद संविधान पर बार-बार हमले हो रहे हैं।’’

उन्होंने यह भी दावा किया कि नरेन्द्र मोदी नीत सरकार को ‘‘कूटनीतिक विफलता’’ का सामना करना पड़ा है, क्योंकि पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष पर भारत का पक्ष रखने के लिए 32 देशों में भेजे गए सात प्रतिनिधिमंडल अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने साथ नहीं कर सके।

भाषा राजकुमार दिलीप

दिलीप

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