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Saturday, June 28, 2025

केरल में कांग्रेस को मिला जमात-ए-इस्लामी का समर्थन, माकपा ने प्रियंका गांधी से मांगा स्पष्टीकरण

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मलप्पुरम (केरल), 12 जून (भाषा) केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को जमात-ए-इस्लामी के समर्थन को लेकर राजनीतिक विवाद जारी है। सत्तारूढ़ माकपा ने बृहस्पतिवार को इस मामले पर कांग्रेस महासचिव और वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा से स्पष्टीकरण मांगा है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव एमवी गोविंदन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार करने आ रहीं प्रियंका का दायित्व है कि वह लोगों को अपनी पार्टी के जमात-ए-इस्लामी के साथ कथित संबंधों के बारे में अपना रुख बताएं।

उन्होंने कहा कि प्रियंका की पार्टी, मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के धर्मनिरपेक्ष रुख के मद्देनजर प्रियंका गांधी और कांग्रेस नेतृत्व की ओर से ऐसा स्पष्टीकरण महत्वपूर्ण हो जाता है।

इस बीच, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के प्रमुख सनी जोसेफ ने कहा कि नीलांबुर उपचुनाव जीतने के लिए यूडीएफ उसे दिए जाने वाले सभी समर्थन को स्वीकार करेगा क्योंकि यह एलडीएफ की कथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एक राजनीतिक लड़ाई है।

इस मुद्दे पर 10 जून को विवाद शुरू हुआ जो बुधवार को और बढ़ गया, जब माकपा, कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने गठबंधनों और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को लेकर एक-दूसरे पर कटाक्ष किए।

विवाद इस बात पर केंद्रित है कि क्या धर्मनिरपेक्ष दलों को जमात-ए-इस्लामी समर्थित वेलफेयर पार्टी और विवादास्पद मौलाना अब्दुल नसर मदनी के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसे दलों का समर्थन स्वीकार करना चाहिए।

वेलफेयर पार्टी ने नीलांबुर उपचुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का समर्थन किया है, वहीं माकपा के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) को पीडीपी का समर्थन प्राप्त है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस और माकपा दोनों ही जमात-ए-इस्लामी और पीडीपी के साथ गठबंधन करके देश की सुरक्षा से समझौता कर रहे हैं।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब वेलफेयर पार्टी ने 19 जून को नीलांबुर उपचुनाव में यूडीएफ उम्मीदवार आर्यदान शौकत को समर्थन देने की घोषणा की। पार्टी ने कहा कि यह मतदाताओं के लिए केरल में नौ साल के वामपंथी शासन को जवाब देने का मौका है, जिसे वह नुकसानदेह मानती है।

भाषा वैभव

वैभव

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