नयी दिल्ली, 12 जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह देश के युवाओं को यह बताने के लिए ‘मॉक पार्लियामेंट’ का आयोजन करेगी कि 1975 में कैसे कांग्रेस सरकार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए संविधान की बलि देकर आपातकाल लगाने का ‘महापाप’ किया था।
इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को रेडियो पर प्रसारण के जरिये आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले पर सशर्त रोक लगा दी थी जिसमें लोकसभा के लिए उनके निर्वाचन को अमान्य घोषित किया गया था।
आपातकाल की 21 महीने की अवधि को जबरन सामूहिक नसबंदी, प्रेस पर पाबंदी, संवैधानिक अधिकारों के निलंबन और सत्ता के केंद्रीकरण के लिए जाना जाता है।
भाजपा सांसद और अपनी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का ‘सबसे काला दौर’ करार दिया। पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी ‘लोकतांत्रिक तरीके’ से ‘मॉक पार्लियामेंट’ का आयोजन करेगी ताकि देश के युवाओं को ‘शिक्षित’ किया जा सके कि कैसे तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश में आपातकाल लगाकर ‘महापाप’ किया था।
इस मुद्दे पर मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए संविधान की बलि दे दी।’’
भाजपा सूत्रों ने संकेत दिया कि पार्टी आपातकाल की बरसी के आसपास देश भर में ‘मॉक पार्लियामेंट’ का आयोजन करेगी।
भाजपा प्रवक्ता ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के पूर्व अध्यक्ष नाना पटोले की टिप्पणी पर भी निशाना साधा और आश्चर्य जताया कि क्या मुख्य विपक्षी दल ने राजनीतिक आत्महत्या करने का फैसला कर लिया है।
पात्रा ने कहा, ‘‘अगर नाना पटोले ने सचमुच कहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कुछ और नहीं बल्कि एक कमरे में बच्चों का वीडियो गेम खेलना है, तो इसका मुझे खेद है। अगर कांग्रेस ने फैसला किया है कि वे आत्महत्या करना चाहते हैं, तो हम एक ही काम कर सकते हैं कि उनसे अपील करें – भगवान के लिए आत्महत्या न करें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह बच्चा राहुल गांधी हैं, जो दिन-रात वीडियो गेम खेलते हैं। इसलिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसा महत्वपूर्ण मामला भी उनकी पार्टी के नेताओं को वीडियो गेम जैसा लगता है। राहुल गांधी से कहिए कि वह वीडियो गेम न खेलें, बल्कि जो कुछ हो रहा है उसके प्रति गंभीर रहें।’’
भाषा संतोष अविनाश
अविनाश