जौनपुर, 13 जून (भाषा) उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में लुप्तप्राय पीली नदी के पुनरुद्धार के प्रयासों के तहत एक अभियान शुरू किया गया है।
पीली नदी, बदलापुर विधानसभा क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है और यह नदी क्षेत्र में रहने वाले किसानों के लिए जीवनदायिनी है।
‘बदलापुर संकल्पित, पीली नदी संरक्षित’ नारे के तहत संचालित इस परियोजना की आधिकारिक शुरुआत 12 जून को भूमिपूजन के साथ हुई।
बदलापुर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक रमेश चंद्र मिश्रा ने अभियान का नेतृत्व किया है।
विधायक रमेश चंद्र मिश्र ने कहा कि बदलापुर विधानसभा के लिए यह नदी जीवनदायिनी है और इस नदी के पुनरुद्धार से क्षेत्र के किसानों व जीव जंतुओं को भी राहत मिलेगी।
नदी के किनारों की मरम्मत का कार्य सक्रिय रूप से जारी है।
भाजपा विधायक ने कहा कि नदी के संरक्षण को लेकर 11 जून को जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र के साथ बैठक हुई थी।
पुनरुद्धार अभियान के तहत नदी के किनारों को दुरुस्त करने के लिए जेसीबी जैसी भारी-भरकम मशीनें लगायी गयी हैं।
विधायक ने बताया कि जिलाधिकारी और अन्य उच्चाधिकारियों के साथ हुई बैठक में नदी को संरक्षित और निरन्तर जल प्रवाह के लिए कार्ययोजना तैयार करने की रणनीति तैयार की गई।
उन्होंने बताया कि नदी के जीर्णोद्धार के लिए विधानसभा क्षेत्र के जिन गांवो से यह नदी गुजर रही है, वहां के स्थानीय नागरिकों के साथ समाजसेवी संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी।
सुलतानपुर-प्रतापगढ़ की सीमा पर स्थित तातो मुरैनी के ताल से निकली पीली नदी की लंबाई 70 किलोमीटर है और इसका उद्गम सुलतानपुर जिला है।
यह नदी प्रतापगढ़ होकर जौनपुर जिले के बदलापुर विधानसभा क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवो से गुजरते हुए गोमती नदी में मिलती है।
अधिकारियों ने बताया कि नदी में पानी नहीं होने से आसपास के गांव में भूजल का स्तर नीचे तेजी से जा रहा है और नदी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि नदी की भूमि पर अवैध कब्जे के खतरे से इसका अस्तित्व समाप्त हो सकता है।
इस वर्ष मार्च के महीने में ही पीली नदी का पानी सूखना शुरू हो गया था। क्षेत्रवासियों ने प्रशासन से नदी में पानी छोड़ने की मांग की है।
विधायक मिश्र ने बताया कि विगत कुछ वर्षो से बारिश में कमी से नदी का जलस्तर कम हो रहा है, जिस वजह से खेती भी प्रभावित हो रही है।
उन्होंने बताया कि बदलापुर के लिए जीवदायिनी पीली नदी का अस्तित्व बचाने लिए पहल की जा रही है और इसके पुनरोद्धार से नदी किनारे बसे गांवो के आमजन को लाभ होगा।
भाषा सं जफर जितेंद्र
जितेंद्र