अहमदाबाद, 13 जून (भाषा) एअर इंडिया विमान हादसे के 24 घंटे बाद रवि ठाकोर की हालत पागलों जैसी हो चुकी है। हादसे के समय मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की मेस में उसकी मां और उसकी नन्हीं बेटी भी थीं। रवि बदहवासी की हालत में उन्हें ढूंढने की कोशिश कर रहा है। लेकिन उसे मेस में नहीं जाने दिया जा रहा है।
बृहस्पतिवार दोपहर यहां से लंदन के लिए उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद यह विमान हॉस्टल परिसर में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें एक व्यक्ति को छोड़कर सभी यात्रियों की मौत हो गई।
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान (एआई171) अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद इस मेडिकल कॉलेज के परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान में दो पायलट और चालक दल के 10 सदस्य सहित 242 लोग सवार थे।
इस हादसे में कम से कम 265 लोग मारे गए। मृतकों में शामिल 241 लोग विमान में सवार थे जबकि अन्य लोग दुर्घटनाग्रस्त विमान की चपेट में आ गए।
ठाकोर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं, मेरी मां और पत्नी बी.जे. मेडिकल कॉलेज के मेस में काम करते हैं। जूनियर डॉक्टर यहां अपना दोपहर का भोजन करने आते हैं, जबकि वरिष्ठ डॉक्टर के लिए भोजन पैक कर टिफिन सेवा के तहत सिविल अस्पताल ले जाया जाता है। बृहस्पतिवार दोपहर एक बजे हम भोजन पैक कर अस्पताल चले गए थे जबकि मेरी मां और बेटी मेस में ही थीं।’’
ठाकोर ने शुक्रवार को बताया कि चूंकि वह, उसके पिता और उसकी पत्नी टिफिन सेवा के लिए बाहर गए थे इसलिए बच्चे को दादी के पास छोड़ दिया था, जो मेस में खाना बनाती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘दुर्घटना के समय, मेरी मां सरला और बेटी आद्या मेस में थीं। 24 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन मुझे कोई जानकारी नहीं मिली है कि उनके साथ क्या हुआ? मैंने अधिकारियों द्वारा दी गई सूचियों को देखा है और रात भर सिविल और निजी अस्पतालों में उनकी तलाश की।’’
ठाकोर ने कहा, ‘‘सभी लापता छात्रों का पता लगा लिया गया है और शवों की पहचान कर ली गई है। केवल मेरी मां और बेटी का पता नहीं चल पाया है। मेस के गार्ड किसी को भी अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। मुझे लगता है कि मेरी मां और बेटी सीढ़ियों के जरिये भूतल पर चली गई होंगी। मैं बस इतना चाहता हूं कि अधिकारी मुझे अपनी तसल्ली के लिए वहां आसपास ढूंढने की अनुमति दे दें।’’
पुलिस ने पहले बताया था कि हादसे के दौरान जमीन पर मारे गए लोगों में चार एमबीबीएस छात्र और एक डॉक्टर की पत्नी शामिल हैं, जबकि बहुत से छात्र दोपहर के भोजन के समय बहुमंजिला छात्रावास भवन के डाइनिंग हॉल में थे।
मेस में खाना बनाने का काम करने वाली मीना मिस्त्री नाम की महिला ने बताया कि वह और अन्य लोग दुर्घटना के समय रोटियां बना रहे थे।
मिस्त्री ने बताया, ‘‘पहले तो हमें लगा कि यह सिलेंडर विस्फोट है, लेकिन जब आग का एक बड़ा गोला दिखाई दिया, तो समझ में आया कि यह कहीं अधिक बड़ा और भयावह है। हम अपनी जान बचाने के लिए भागे और चाबियां, फोन आदि वहीं छोड़ गए।’’
उन्होंने बताया, ‘‘मेरा दोपहिया वाहन जलकर खाक हो गया। अचानक अंधेरा छा गया था। जब हम सीढ़ियों से नीचे आए, तो हमने देखा कि विमान आग के गोले में बदल गया है।’’
खाना बनाने का काम करने वाली एक और महिला नीमाबेन निगम ने भी पहले यही सोचा था कि यह सिलेंडर फटा है।
निगम ने कहा, ‘‘हम 30 वर्षों से चिकित्सकों और छात्रों के लिए खाना बना रहे हैं। हम 15 लोगों की टीम हैं। जब हमने आग की लपटें देखीं, तो हम सरपट दौड़ पड़े, हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा।’’
भाषा सुभाष नरेश
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