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Saturday, July 26, 2025

क्या है डोल का बाढ आंदोलन और क्या है रीको की दलील, जानिए

Newsक्या है डोल का बाढ आंदोलन और क्या है रीको की दलील, जानिए

 

जयपुर के दक्षिण हिस्से में 100 एकड़ में फैला स्वजनित जंगल डोल का बाढ सुर्खियों में बना हुआ है। इस जंगल में 2500 से अधिक पेड़ और पौधे हैं, जिनमें नीम, अकेसिया, साइरस, खेजड़ी, बबूल, पीपल, रोहिडा, पटेलिया, बंदर की रोटी के साथ औषधीय पौधों में अश्वगंधा,सफ़ेद बुई, धतूरा, अरंडी, वन तुलसी, अडूसा, दूधिया घास, घृतकुमारी, पत्थर चूर, शतावरी, खुलती, ऊंट कटेरी, शार्क, शंखपुष्पी, तुलसी आदि प्रमुख है।

पेड़-पौधों के अलावा 85 से अधिक विभिन्न प्रजातियों के दुर्लभप्रजातियों के पक्षी भी इस वन क्षेत्र में हैं, जिनमें गोल्डन ओरियल, पैराकीट, ग्रे हॉर्नबिल, गोल्डन बैक वुडपैकर, मोर, ग्रे फ्रैंकोलिन, शिकारा, ड्रॉन्गो, यूरेशियन कॉलर डव, कॉमन डव, कूपरस्मिथ बार, चिड़िया, कवर, इंडियन रोबिन ग्रे ब्रेस्टेड, मैना, सनबर्ड, टेलर बर्ड, कबूतर, हरा कबूतर, काला कबूतर, ग्रीन बी, ईट, उल्लू, इंडियन रोलर, अलेक्जेंड्रिया पैराकीट, प्लेन करीना, ऐसी परीना, पीले पैरों वाला कबूतर, हरा कबूतर, जंगल बबलर, ग्रे हॉर्नबिल, एलेग्जेंडर, कोयल, तोते, बुलबुल और लाइट ओलेट, प्रमुख है।

दिसंबर से मार्च महीनों के बीच उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आते हैं जिनमें कूकू, हॉट गोल्डन ओरियल, ओरियल वुडसाइड स्ट्राइक, ओरिएंटल हनी बाजा प्रमुख है। इसके साथ ही तितलियां, मधुमक्खियां, नेवला, बंदर, खरगोश, सांप, गिलहरी, बिल्ली, लोमड़ी, नीलगाय जैसे पशु भी है।

दरअसल इस भूमि का अधिग्रहण रीको द्वारा 1980 के दौरान शुरू किया गया जिसमे डोल का बाढ के साथ दुर्गापुरा, झालना छोड़ और सांगानेर गाँव की भी भूमि शामिल थी। कागजों में कृषि भूमि से औद्योगिक हुई इस जमीन अनेकों प्रयास के बाद भी कोई उद्योग सफल नहीं हो पाया। कभी जेम्स ज्वैलरी स्टोन पार्क और कभी फिनटेक पार्क लगाने के प्रयास हुए पर लगातार खाली रहने की वजह से जमीन प्राकृतिक जंगल का रूप लेती गई जिसकी जैव विविधता लगातार घनी होती चली गई।

जयपुर के सेंट्रल पार्क की कहानी भी लगभग इस रूप में विकसित हुई आवासीय उपयोग के लिए अधिग्रहित की गई सेंट्रल पार्क की जमीन को राजस्थान सरकार हरित क्षेत्र में परिवर्तित कर सेंट्रल पार्क विकसित किया आज यह हजारों लोगों की दिनचर्या की हिस्सा है।

रीको का मानना है कि डोल का बाढ की बेशकीमती जमीन रीको की वित्तीय हालत के साथ राजधानी जयपुर की कॉमर्शियल रियल एस्टेट में बड़ा योगदान करेगी जिससे हजारों रोज़गार सृजन होंगे रीको द्वारा विकसित की जा रही दो परियोजनाएँ यूनिटी मॉल और राजस्थान मंडप वैध रूप से अधिग्रहित भूमि पर बनाई जा रही हैं, न कि वन भूमि पर। कुछ लोग भ्रामक तरीके से इसे “हजारों पेड़ों की कटाई” से जोड़ रहे हैं, जबकि परियोजनाओं के लिए आवश्यक पेड़ों की गणना एवं प्रतिपूरक रोपण की योजना तय मानकों के अनुसार की गई है। उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में संबंधित याचिकाएँ खारिज हो चुकी हैं। यूनिटी मॉल राज्य के ODOP उत्पादों को बढ़ावा देगा और MSMEs को नया बाजार उपलब्ध कराएगा। राजस्थान मंडप को वैश्विक निवेश और कनेक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा।हालाँकि इसके लिए उसके पास कोई ठोस योजना नहीं है क्योंकि रीको ने इस जमीन के नक़्शे में इसे प्लॉट्स में बाँट दिया है जिसका बेचान कर राजस्व इकट्ठा करने की योजना है। रीको लगातार इसी तर्ज पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करता रहा है जिसमें उद्योगपतियों से अधिक भू-कारोबारियों की रुचि रहती है जो लैंड बैंक संग्रहित कर लाभ कमाते है। नतीजतन रीको के 40-50 फीसदी क्षेत्र खाली प्लॉट्स के रूप में रिक्त पड़े रहते है।

दूसरी तरफ़ शहर के नागरिकों का तर्क है जयपुर शहर में बढ़ते यातायात और प्रदूषण के चलते डोल का बाढ को खुला व जैव विविधता से भरपूर रखना शहर की मुख्य जरूरत है। डोल का बाढ एक दुर्लभ शहरी वन क्षेत्र है जिसमें शुष्क पर्णपाती और झाड़ीदार वनस्पति पाई जाती है। यह क्षेत्र प्रवासी पक्षियों सहित कई प्रजातियों का प्राकृतिक आवास है।यह वन क्षेत्र दक्षिण जयपुर में वायु प्रदूषण को कम करने और शहरी ताप द्वीप प्रभाव को नियंत्रित करने में सहायक है।

नागरिक बताते है कि अगर इस क्षेत्र को कॉमर्शियल क्षेत्र में बदला गया तो अकेले इस क्षेत्र से टोंक रोड और एयरपोर्ट के पास 15000 अतिरिक्त वाहनों का प्रतिदिन भार आएगा जो शहर को पूरी तरह से जाम कर देगा। राजस्थान सरकार द्वारा जयपुर डोल का बाढ क्षेत्र में 100 एकड़ (लगभग 4,05,000 वर्ग मीटर) क्षेत्र में एक पूर्णतः वाणिज्यिक परियोजना प्रस्तावित की गई है। इस परियोजना में बहुमंजिला वाणिज्यिक भवनों का निर्माण प्रस्तावित है, जिसके लिए संपूर्ण प्राकृतिक वन क्षेत्र को समाप्त किया जाएगा। यह 60+ लाख वर्ग फुट के कंक्रीट निर्मित क्षेत्र के बराबर एक उच्च घनत्व वाली वाणिज्यिक संरचना होगी। जयपुर भवन विनियमों (60:40 अनुपात व एफएआर) के तहत निम्न गणना नागरिकों द्वारा की गई है

मानक                                मूल्य
कुल भूमि क्षेत्र                        100 एकड़ = 405,000 वर्ग मीटर
विकास योग्य भूमि (60%)         243,000 वर्ग मीटर
एफएआर (वाणिज्यिक)             2.5
कुल निर्मित क्षेत्र                     243,000 × 2.5 = 607,500 वर्ग मीटर
अपेक्षित पार्किंग (ECS)            607,500 ÷ 40 = 15,188 ECS
अनुमानित कार लोड                ~15,000–16,000 वाहन
पीक आवागमन (35–50%)      5,000–7,500 वाहन प्रति घंटा
आवश्यक पार्किंग क्षेत्र               15,188 × 12.5 = ~189,850 वर्ग मीटर                                      ग्राउंड कवरेज सीमा (40%)      162,000 वर्ग मीटर तक

नोट:- जयपुर पार्किंग मानकों के अनुसार (1 ईसीएस प्रति 40 वर्ग मीटर BUA)

डोल का बाढ क्षेत्र टोंक रोड पर संविलीन होता है जो वर्तमान में 2 लेन यातायात के लिए उपलब्ध है अगर डोल का बाढ क्षेत्र के सम्पूर्ण वाणिज्यिक विकास पर 15000 वाहन टोंक रोड पर समाहित होते है तो यह जयपुर शहर में 45 किलोमीटर तक लंबा यातायात जाम लगा सकते है जो जयपुर के बेतरबीन बढ़ते यातायात में अप्रत्याशित वृद्धि करेगा।

सड़क पर एक सामान्य कार या SUV की लंबाई लगभग 4.5 मीटर होती है।इसके साथ-साथ वाहन के बीच में 1.5 मीटर का औसत गैप भी जोड़ा जाता है (सामान्य स्थिति में, बंपर-टू-बंपर नहीं) तो प्रति वाहन कुल लंबाई = 4.5 + 1.5 = 6 मीटर स्थान की आवश्यकता होती है। दो लेन होने पर, 15,000 वाहनों को दो बराबर हिस्सों में बाँटा जाए तो प्रत्येक लेन में 7500 वाहन (15,000 ÷ 2) समाहित होंगे। अब एक लेन की लंबाई (7,500 × 6 मीटर = 45,000 मीटर = 45 किलोमीटर) गणना 45 किलोमीटर लंबे ट्रैफिक जाम में तब्दील हो सकती है। क्योंकि दोनों लेन एक साथ समानांतर चलेगी इसलिए कुल लाइन की लंबाई लगभग 45 किलोमीटर होगी। अगर बंपर-टू-बंपर दो लेनों में खड़े 15,000 चार पहिया वाहनों की लाइन में खड़ा किया जाए तो भी लगभग 33.75 किलोमीटर लंबी लाईन होगी।

इसके अलावा नागरिक समाज जल संकट और शहरी टिकाऊपन की विफलता पर भी आशंका जता रहे है, उनके अनुसार इस क्षेत्र में वाणिज्यिक भवनों के लिए प्रतिदिन 15–20 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होगी।यह क्षेत्र जल-घाटे वाले भूजल क्षेत्र में आता है और कोई प्राकृतिक जल स्रोत उपलब्ध नहीं है।ज़मीन के पक्के होने से वर्षाजल संचयन नगण्य होगा, जिससे शहरी बाढ़ का खतरा बढ़ेगा।

इसके अलावा जयपुर मास्टर प्लान 2025 में डोल का बाढ क्षेत्र को उच्च घनत्व वाणिज्यिक क्षेत्र के रूप में चिह्नित नहीं किया गया है ना ही अब तक कोई सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) या पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) सार्वजनिक नहीं किया गया है तथा इस प्रस्ताव में कोई जनसुनवाई या सहभागिता प्रक्रिया भी नहीं अपनाई गई है।

नागरिक चाहते है की प्रस्तावित वाणिज्यिक ज़ोनिंग को रद्द कर डोल का बाढ को ‘सिटी फॉरेस्ट’ या संरक्षित हरित क्षेत्र घोषित किया जाए। वन से वाणिज्यिक उपयोग में भूमि परिवर्तन पर तत्काल रोक लगाई जाए जब तक पूर्ण पारिस्थितिकी व ट्रैफिक प्रभाव मूल्यांकन नहीं किया जाता।इस जगह लिए वैकल्पिक योजना शुरू की जाए जिसमे जैव विविधता पार्क, शहरी इको-पर्यटन केंद्र, जलवायु अनुसंधान व पर्यावरण शिक्षा केंद्र जैसे विकल्पों पर विचार हो।

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