नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन’ ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की आलोचना की जिसने एक कंपनी को कानूनी सलाह देने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार को तलब किया।
ईडी ने बाद में इस नोटिस को वापस ले लिया। यह दातार को इसलिए जारी किया गया था क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व चेयरपर्सन रश्मि सलूजा को जारी किए गए ईएसओपी (इंप्लाइ स्टॉक ऑनरशिप) पर केयर हेल्थ इंश्योरेंस को कानूनी सलाह दी थी।
एससीएओआरए ने कहा कि इस तरह का नोटिस ‘समग्र रूप से कानूनी समुदाय के लिए एक भयावह संदेश है तथा प्रत्येक नागरिक के बिना किसी भय या धमकी के स्वतंत्र कानूनी परामर्श प्राप्त करने के मूलभूत अधिकार को खतरे में डालता है।’
अधिवक्ता एवं एससीएओआरए के अध्यक्ष विपिन नायर ने कहा कि ईडी की कार्रवाई न केवल अनुचित है, बल्कि जांच में अतिक्रमण की चिंताजनक प्रवृत्ति को भी दर्शाती है, जिससे कानूनी पेशे की स्वतंत्रता को खतरा पैदा हो रहा है और कानून के शासन की बुनियाद को कमजोर किया जा रहा है।
एससीएओआरए के सचिव निखिल जैन ने बयान में कहा, ‘दातार एक सम्मानित वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, जिनकी ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठता, जिन्होंने पेशेवर आचरण और कानूनी नैतिकता के उच्चतम मानकों को लगातार कायम रखा है।’
उन्होंने कहा कि बार के एक वरिष्ठ सदस्य को उसकी व्यावसायिक जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए बुलाना, अधिकार का दुरुपयोग तथा अधिवक्ता की भूमिका की पवित्रता का अपमान है।
एससीएओआरए ने आगे कहा कि वकीलों की व्यावसायिक स्वतंत्रता को कमजोर करने से अंततः न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरा पैदा हो गया है।
इसमें कहा गया है, ‘ईडी की कार्रवाई कानूनी सलाह को आपराधिक मिलीभगत के साथ मिला देती है, जो संवैधानिक रूप से अपुष्ट और कानूनी रूप से अनुचित है।’
यद्यपि ईडी द्वारा सम्मन वापस ले लिया गया, लेकिन एससीएओआरए ने ‘कार्यकारी शक्ति के मनमाने प्रयोग’ के खिलाफ अपना ‘कड़ा विरोध’ दर्ज कराया।
भाषा
शुभम नरेश
नरेश