नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) की एक याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर की गई थी जिसमें नगरपालिका परिषद द्वारा पीलीभीत के सपा जिला अध्यक्ष को स्थानीय पार्टी कार्यालय को खाली करने के लिए कहे जाने के बाद उनके नयी याचिका दायर करने पर रोक लगा दी गई थी।
न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने हालांकि सपा को इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दे दी।
उच्चतम न्यायालय ने आनंद सिंह यादव नामक व्यक्ति की याचिका पर उच्च न्यायालय के एक दिसंबर, 2020 के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में 998 दिनों की देरी पर गौर किया। आनंद सिंह यादव ने पार्टी का जिला अध्यक्ष होने का दावा किया था।
पीठ ने कहा कि सपा ने उच्च न्यायालय से अपनी याचिका वापस ले ली है, लेकिन यादव को इस मुद्दे पर कोई नयी याचिका दायर करने से रोक दिया गया है।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा दृढ़ मत है कि (उच्च न्यायालय के) उक्त आदेश को याचिकाकर्ता के अधिकारों के प्रतिकूल नहीं माना जा सकता। तदनुसार, विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’
पार्टी की अपील के अनुसार, यादव ने पीलीभीत की नगरपालिका परिषद द्वारा पार्टी के जिला कार्यालय से बेदखली का आदेश पारित करने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की।
उसने कहा कि उच्च न्यायालय ने रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और यादव को उसी कारण से उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका दायर करने से रोक दिया।
राजनीतिक दल ने दावा किया कि वह यादव के विचारों का समर्थन नहीं करता है, जिन्होंने व्यक्तिगत तौर पर उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी।
राजनीतिक दल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने राहत पाने के लिए उच्च न्यायालय जाने की अनुमति मांगी। दवे ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के कारण, पार्टी को नयी याचिका दायर करने से रोक दिया गया था, हालांकि परिसर पार्टी का था और वे पिछले 16 साल से किराया दे रहे थे।
सपा ने दावा किया कि नगर निकाय ने उसका पक्ष सुने बिना 12 नवंबर, 2020 को परिसर खाली करने का आदेश दिया।
अपील में कहा गया है, ‘‘इसलिए, पार्टी उच्च न्यायालय से नगरपालिका परिषद, पीलीभीत के अध्यक्ष और उसके कार्यकारी अधिकारी को 17 मार्च, 2005 के कब्जे के पत्र के अनुसार याचिकाकर्ता के पक्ष में ‘लीज डीड’ के कार्यान्वयन पर निर्णय लेने का निर्देश देने का अनुरोध करना चाहती है।’’
भाषा अविनाश संतोष
संतोष
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