हैदराबाद, 17 जून (भाषा) तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस समिति (टीपीसीसी) के अध्यक्ष बी. महेश कुमार गौड़ पूर्ववर्ती भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के दौरान कथित तौर पर अवैध तरीके से ‘फोन टैपिंग’ से संबंधित मामले में गवाह के तौर पर मंगलवार को पुलिस के समक्ष पेश हुए।
अपने बयान दर्ज करवाने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए गौड़ ने बीआरएस सरकार के दौरान अवैध ‘फोन टैपिंग’ की निंदा की और कहा कि इसमें शामिल सभी लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
गौड़ ने कहा कि उन्होंने जांचकर्ताओं के अनुरोध पर उनके साथ जानकारी साझा की।
उन्होंने पूर्ववर्ती बीआरएस सरकार पर ‘राजनीतिक लाभ’ के लिए ‘फोन टैपिंग’ का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
गौड़ ने याद किया कि 2021 में उन्होंने और अन्य कांग्रेस नेताओं ने तत्कालीन मुख्य सचिव से उनकी निगरानी किए जाने के संदेह की शिकायत की थी।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 का उल्लंघन करते हुए ‘हजारों कांग्रेस नेताओं’ के फोन अवैध रूप से टैप किए गए।
गौड़ ने सुझाव दिया कि 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की हार के लिए फोन टैपिंग को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है क्योंकि इससे उनकी ‘गतिविधियों पर नजर रखी गई’।
उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष रेवंत रेड्डी और अन्य नेताओं के फोन टैपिंग के मामले में अब सच्चाई सामने आ रही है।
गौड़ ने राज्य सरकार से फोन टैपिंग के मामले में संलिप्त लोगों के लिए कड़ी सजा का आग्रह किया ताकि यह निवारक के रूप में कार्य कर सके।
उन्होंने दावा किया कि फोन टैपिंग से संबंधित डेटा वाली हार्ड डिस्क नष्ट कर दी गई हैं और उपलब्ध ‘सीमित डेटा’ के आधार पर जांच की जा रही है।
कांग्रेस सूत्रों ने सोमवार को बताया कि जुबली हिल्स के सहायक पुलिस उपायुक्त (एसीपी) ने गौड़ से मामले में बयान दर्ज कराने का अनुरोध किया है।
प्राधिकारी अभी कथित फोन टैंपिंग मामले में मुख्य आरोपी एवं तेलंगाना के विशेष खूफिया ब्यूरो (एसआईबी) के पूर्व प्रमुख टी. प्रभाकर राव से पूछताछ कर रहे हैं।
प्रभाकर राव पर तत्कालीन सत्तारूढ़ राजनीतिक दल और उसके नेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए राजनीतिक निगरानी से संबंधित कुछ विशिष्ट कार्यों को अंजाम देने के लिए एसआईबी के भीतर एक निलंबित डीएसपी के नेतृत्व में एक ‘विशेष अभियान दल’ गठित करने का आरोप है।
एसआईबी के निलंबित डीएसपी उन चार पुलिस अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें हैदराबाद पुलिस ने मार्च 2024 से अब तक गिरफ्तार किया है। इन अधिकारियों पर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से खुफिया जानकारी मिटाने और बीआरएस सरकार के दौरान फोन टैपिंग का आरोप है।
उन्हें बाद में जमानत दे दी गयी थी।
इस मामले में आरोपी बनाए गए लोगों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर कथित तौर पर कई लोगों के प्रोफाइल अनधिकृत तरीके से बनाए थे और उन पर एसआईबी में गुप्त और अवैध रूप से उनकी निगरानी करने तथा कुछ लोगों के इशारे पर एक राजनीतिक पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए पक्षपातपूर्ण तरीके से उनका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।
भाषा यासिर नरेश
नरेश