मुंबई, 17 जून (भाषा) महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने मंगलवार को आपातकाल के दौरान राज्य की जेलों में बंद किए गए लोगों को दी जाने वाली मानदेय राशि को दोगुना करने को मंजूरी दे दी।
मंत्रिमंडल ने जेल में बंद रहे व्यक्ति के पति/पत्नी का नाम भी लाभार्थी के रूप में जोड़ने का निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चल रही “गौरव योजना” में इन बदलावों को मंजूरी दी गई।
वर्तमान में इस योजना के तहत दिए जाने वाले लाभों के अंतर्गत, आपातकाल (1975-1977) के दौरान एक महीने के लिए जेल में बंद लोगों को 5,000 रुपये मासिक पेंशन मिलती है, जबकि इससे अधिक अवधि के लिए जेल में बंद लोगों को 10,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं। मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार यह राशि दोगुनी कर दी जाएगी।
मौजूदा नियम के तहत, यदि आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिजनों को 2,500 रुपये (एक महीने या उससे कम की जेल अवधि के लिए) और 5,000 रुपये (एक महीने से अधिक की जेल अवधि के लिए) मासिक पेंशन दी जाती है।
यह योजना फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल (2014 से 2019 तक) के दौरान शुरू की थी।
पात्र व्यक्तियों को 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर जिला कलेक्ट्रेट में आवेदन करना था, जिसकी जांच कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा की गई।
आपातकाल 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया था, तथा 21 मार्च 1977 तक लागू रहा।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार ने 2020 में पेंशन योजना को बंद कर दिया था, लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे-फडणवीस सरकार के सत्ता में आने के बाद इसे फिर से शुरू कर दिया गया।
भाषा प्रशांत मनीषा
मनीषा