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Wednesday, June 18, 2025

खुरपेंच और राजस्थानी ट्वीट ही मुख्यधारा है!!!

Newsखुरपेंच और राजस्थानी ट्वीट ही मुख्यधारा है!!!

 

जब जानकारी का सोर्स आज बदल गया है तो मीडिया की मुख्यधारा की परिभाषा भी बदल गई है. टीवी और अखबार से दूर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जानकारी के सबसे बड़ा स्त्रोत है. ना सिर्फ स्त्रोत, बल्कि आवाज उठाने के माध्यम भी. कॉरपोरेट मीडिया के गलियारों में दबी रह गई आवाज को सोशल मीडिया पर उठाने वाले कई पेज आज सशक्त आवाज बन गए हैं. खुरपेंच, राजस्थानी ट्वीट जैसे पेज ना होते तो शायद फर्जीवाड़ा कर बने IAS आज जांच के घेरे में ना होते. कई रीलबाज कलेक्टर-अधिकारी EWS या फर्जी दिव्यांगता के सहारे कुर्सी पर ही बैठे नजर आते. शायद अब मुख्यधारा की परिभाषा ही बदल चुकी है. वैसे भी कथित तौर पर ‘मुख्यधारा’ शब्द ही अपने आप में प्रोपेगैंडा है. मुख्यधारा का समाज, मुख्यधारा का मीडिया, मुख्यधारा का विचार जैसे शब्द, दरअसल वर्चस्ववादी सोच को गढ़ने के लिए बने हैं.

खुरपेंच के शानदार व्यंग्य और जमीनी इन्वेस्टिगेशन ने हर किसी का ध्यान खींचा.. “आपका नाम आसिफ के यूसुफ है, आप केरल कैडर के IAS अधिकारी हैं, आप फर्जी OBC NCL सर्टिफिकेट लगाकर IAS बने और 2020 में तमाम जांच प्रक्रियाओं के बाद प्रूफ भी हो चुका है कि आपने फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर IAS की पोस्ट पाई. उसके बावजूद आप अभी तक नौकरी कर रहे हैं.” जैसे ट्वीट ही इस हैंडल की ताकत है.

पूजा खेडकर केस को अंत तक ले जाना और इतना की कार्रवाई भी हुई. नतीजा यह हुआ कि कई आईएएस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स डिलीट और डीएक्टिवेट कर दिए. यह इत्तिफाक नहीं, बल्कि खुरपेंच की पैनी नजर से बचने और IAS के लिए खुद की गलती छुपाने का जरिया था.

धीरे-धीरे गुजरात कैडर की IAS Snehal Bhapkar का भी मामला सामने आया. इसके बाद तो जैसे ट्रेंड ही बन गया और फिर कथित मुख्यधारा के मीडिया ने ऐसे कई उदाहरण सामने लाए, जिसमें फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करके केवल नौकरी नहीं पाई जा रही, बल्कि चुनाव लड़े जा रहे और लाखों के लोन भी लिए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश में ऐसे कई मामले खुरपेंच की क्रांति के बाद ही मीडिया समूहों द्वारा सामने लाए गए.

अब ऐसे ही कुछ ट्वीट की लिस्ट देखिए- खुरपेंच (@khurpenchh) / X

 

14 जून 2025- “छत्तीसगढ़ पुलिस सर्विस एक्ट के सेक्शन 42(क)के अंतर्गत डिप्टी एसपी की छपरी बीवी चलती गाड़ी में बर्थडे सेलिब्रेट कर सकती है. खैर मुझे क्या मैं चला खरबूजा खाने.”

13 जून 2025, अहदाबाद विमान हादसा- “मीडियाकर्मियों को बाइट देते देते फफक के रो पड़े DIG NDRF हरिओम गांधीजी.”

10 जून 2025- “जब देश में गोरे अंग्रेजों का शासन था तब रांची शहर में बरसते पानी में कलेक्टर का काफिला गुजर जाने का जनता को इंतजार करना पड़ता था, फिर हमें आजादी मिल गई और भूरे अंग्रेजों के शासन में सब ठीक हो गया.”

12 जून 2025- “VVIP गेस्ट हाउस के बाहर स्कूल की बाउंड्री पर मूत्र विसर्जन करते भाजपा के वरिष्ठ सांसद जगदंबिका पाल जी, हालांकि बगल में लगे स्मार्ट सिटी के बोर्ड को पढ़ने के बाद उन्होंने अपने हांथ भी धुले.”

31 अगस्त 2024- “‘देखिए!! महिला सुरक्षा हमारा प्राथमिक कर्तव्य है और उनसे छेड़छाड़ करने वालों को हम ऐसी सजा देंगे कि उनकी सात पुश्तें याद रखेंगी.” (संदर्भ- आईआईटी बीएयू छात्रा से गैंगरेप के 2 आरोपी 7 महीने बाद रिहा हुए.)

अब राजस्थानी ट्वीट के कुछ पोस्ट पर नजर डालिए- राजस्थानी ट्वीट (@8PMnoCM) / X

– RAS-2024 परीक्षा विवाद- “नीति रीति सरकार की भी ठीक नहीं रही, लगातार विरोध पर चुप्पी ने अनावश्यक भ्रम पैदा किया. संवाद छात्रों के साथ क्या ख़ुद अपने संगठन और कैबिनेट के साथियों के साथ तक नहीं किया गया.”

– डोल का बाढ़ आंदोलन- “जयपुर के बीच जंगल के 2500 पेड़ काटे जाएंगे: मॉल और फिनटेक पार्क के लिए पक्षियों का आशियाना टूटेगा, प्रदर्शन कर रहे लोगों को पकड़ रही पुलिस सचिन पायलट आज डोल का बाढ पहुंच रहे है. डोल का बाढ आंदोलन में पुलिस के रवैये और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर सवाल.”

– सिस्टम पर सवाल- सत्ता अहम का द्वार है अगर यह दोनों नेता समय रहते अपने अहम पर काबू पा लेते तो राजस्थान को फ़ोन टैपिंग, जासूसी, बाड़ेबंदी, प्रशासन-पुलिस का बेज़ा इस्तेमाल, निर्दोष नागरिकों-पत्रकारों पर मुकदमे, नियमों-क़ानून की धज्जियां, बेतहाशा भ्रष्टाचार का दौर ना देखना पड़ता

राजस्थानी ट्वीट के 14 हजार से ज्यादा ट्वीट हैं, इनमें तमाम संस्थाओं, सिस्टम और सत्ता से सवाल पूछे जाने से लेकर मीडिया की कार्यशैली की समीक्षा भी शामिल हैं. डोल का बाढ़ आंदोलन का उदाहरण बताने के लिए काफी है, जिस मुद्दे को कथित मुख्यधारा में जगह नहीं मिली, उस पर दर्जनों ट्वीट और वीडियो इसी पेज पर शेयर किए गए. इसी का नतीजा समझिए कि सचिन पायलट जैसे नेताओं को भी आंदोलनकारियों की सुध लेने पहुंचना पड़ा. आरपीएससी पुनर्गठन जैसे जटिल मुद्दे को आसानी से लोगों तक पहुंचाना भी इसी पेज का काम है. इसके अलावा सत्ता से ना पूछे जाने वाले सवालों की लंबी फेहरिस्त भी इसी पेज पर मिलेगी.

-कुमार

 

 

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