नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को लोगों से ‘अरावली ग्रीन वॉल परियोजना’ के तहत अपनी माताओं के नाम पर वन तैयार करने की अपील की।
‘अरावली ग्रीन वॉल परियोजना’ अरावली पर्वत श्रृंखला के चारों ओर 1,400 किलोमीटर लंबा और पांच किलोमीटर चौड़ा हरित बफर क्षेत्र बनाने की महत्वाकांक्षी योजना।
राजस्थान के जोधपुर में ‘मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की रणनीतियों’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला की शुरुआत करते हुए यादव ने कहा कि असंवहनीय कृषि पद्धतियां, यूरिया और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग और भूजल का अत्यधिक दोहन दुनिया भर में भूमि क्षरण के कुछ प्रमुख कारण हैं।
उन्होंने आगाह किया कि तेजी से बढ़ता रेगिस्तान मानव खाद्य श्रृंखला के लिए खतरा बन रहा है।
यादव ने कहा कि भारत भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए कई कदम उठा रहा है, जिसमें नदियों को आपस में जोड़ना, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित करना और पौधारोपण कार्यक्रम शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अब दिल्ली से गुजरात तक फैली अरावली पर्वतमाला में क्षरित भूमि को पुन: पुरानी स्थिति में लाने का फैसला किया है।
मंत्री ने लोगों को इस पहल के तहत क्षरित वन भूमि पर ‘मातृ वन’ (अपनी मां के नाम पर वन) विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने यह भी कहा कि हरित क्रेडिट कार्यक्रम के तहत कंपनियों से ऐसे क्षरित क्षेत्रों को बहाल करने में मदद करने के लिए कहा जा सकता है।
पश्चिम में सेनेगल से पूर्व में जिबूती तक फैली अफ्रीका की ‘ग्रेट ग्रीन वॉल’ से प्रेरित होकर, अरावली ग्रीन वॉल परियोजना का लक्ष्य हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली के 29 जिलों में 1,400 किलोमीटर लंबी और पांच किलोमीटर चौड़ी हरित पट्टी स्थापित करना है।
भाषा खारी धीरज
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