नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) उद्योग संगठन इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस (आईएसए) ने एकल बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली के विकास के लिए सरकार के कदम की सराहना की है। उसने कहा कि परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए कोष उपलब्ध कराने के दूसरे चरण की घोषणा से क्षेत्र को जरूरी रफ्तार मिलेगी।
स्टैंडअलोन यानी एकल बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) स्वतंत्र ऊर्जा भंडारण प्रणाली हैं जो सौर फार्म जैसे विशिष्ट नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से भौतिक रूप से जुड़ी नहीं होती हैं। इन्हें ग्रिड या अन्य स्रोतों से चार्ज किया जा सकता है और इनका उपयोग ग्रिड को समर्थन देने के लिए किया जाता है
आईएसए ने बुधवार को बयान में कहा कि यह योजना एनटीपीसी के समर्थन से 15 राज्यों में वितरित 30 गीगावाट (जीडब्ल्यूएच) ऊर्जा भंडारण क्षमताओं को प्राप्त करने के सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप है।
इसका लक्ष्य 2028 तक देश की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) जरूरतों को पूरा करते हुए 33,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना है।
बयान के अनुसार, आईएसए का मानना है कि भारत ऊर्जा भंडारण सप्ताह, 2025 उद्योग जगत के दिग्गजों, संबंधित पक्षों और दुनिया भर के निवेशों को एक साथ लाकर इस पहल को और तेज करेगा।
इस चरण के तहत 30 गीगावाटएच बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली क्षमता के विकास का समर्थन करने के मकसद से परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए 18 लाख रुपये प्रति एमडब्ल्यूएच (21,043 डॉलर) वित्तपोषण प्रदान किया जाएगा।
यह वित्तपोषण बिजली प्रणाली विकास कोष (पीएसडीएफ) से प्राप्त किया जाएगा, जिसका कुल वित्तीय व्यय लगभग 5,400 करोड़ रुपये है।
बयान में कहा गया है कि यह पहल ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और गैर-सौर घंटों के दौरान बिजली की मांग को पूरा करने के लिए मौजूदा तापीय बिजली उत्पादन और पारेषण बुनियादी ढांचे के अनुकूलतम उपयोग की सुविधा प्रदान करने का वादा करती है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अनुसार, बीईएसएस की आवश्यकता बढ़ने का अनुमान है और यह 2027 तक 37 गीगावाटएच और 2032 तक 236 गीगावाटएच तक पहुंच जाएगी। इन उपायों का समय पर क्रियान्वयन भारत में ऊर्जा भंडारण के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
भाषा रमण अजय
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