रायपुर, 18 जून (भाषा) छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में वन्यजीव, खासकर बाघों के संरक्षण और पारिस्थितिकी-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसायटी’ का गठन करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में यहां उनके आधिकारिक निवास कार्यालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए।
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने राज्य में वन्यजीव, खासकर बाघों के संरक्षण और पारिस्थितिकी-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहल करते हुए ‘छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसायटी’ का गठन करने का फैसला किया है।
अधिकारियों ने बताया कि यह सोसायटी वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत काम करेगी। मध्य प्रदेश में यह 1996 से संचालित है। इसका मुख्य लक्ष्य छत्तीसगढ़ में बाघों आबादी में लगातार गिरावट पर विराम लगाना है। यह संस्था स्व-वित्तपोषित होगी, जिससे सरकारी खजाने पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। यह सहयोग देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं से फंड जुटाएगी। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 18 से 20 के बीच है।
उन्होंने बताया कि यह सोसायटी बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में सीधे शामिल होगी। अधिकारियों के अनुसार, यह सोसायटी स्थानीय समुदाय की भागीदारी से पारिस्थितिकी-पर्यटन को बढ़ावा देगी, जिससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आय के अवसर भी पैदा होंगे। साथ ही, यह पर्यावरणीय शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करेगी, जिससे भविष्य के लिए पर्यावरण संरक्षणवादी भी तैयार होंगे।
अधिकारियों ने बताया कि इस पहल से संरक्षण के लिए बाहरी धन, विशेषज्ञता और संसाधन मिलेंगे, जिससे स्थानीय समुदायों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे और राज्य का पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि यह फैसला छत्तीसगढ़ में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो जैव विविधता की रक्षा के साथ-साथ पारिस्थितिकी-पर्यटन को भी मजबूत आधार देगा।
अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने शहीद पुलिसकर्मियों के सर्वोच्च बलिदान को ध्यान में रखकर अनुकम्पा नियुक्ति के लिए निर्देश की कंडिका में संशोधन करते हुए फैसला किया है कि नक्सली हिंसा में शहीद पुलिस सेवकों के परिवार के किसी भी पात्र सदस्य (महिला या पुरूष) को विकल्प के आधार पर पुलिस विभाग के अलावा, किसी अन्य विभाग में तथा राज्य के किसी भी जिला, संभाग में अनुकम्पा नियुक्ति दी जा सकेगी।
उन्होंने बताया कि पहले अनुकम्पा नियुक्ति यथासंभव उसी विभाग या कार्यालय में देने की व्यवस्था थी, जिसमें दिवंगत शासकीय सेवक निधन के पूर्व कार्यरत था।
अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने छत्तीसगढ़ में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और बिजली उपभोक्ताओं को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए ‘प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना’ के अंतर्गत घर की छतों पर ‘सोलर रूफटॉप’ संयंत्र की स्थापना में राज्य सरकार द्वारा भी उपभोक्ताओं को वित्तीय सहायता दिए जाने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि ‘छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड’ (सीएसपीडीसीएल) के माध्यम से ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ के तहत घरेलू उपभोक्ताओं के घरों पर ‘सोलर रूफटॉप’ संयंत्र लगाने पर केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ-साथ राज्य की ओर से अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी दी जाएगी, जो सोलर प्लांट की क्षमता के आधार पर अलग-अलग होगी।
अधिकारियों ने बताया कि सीएसपीडीसीएल इस योजना की कार्यान्वयन एजेंसी होगी और केंद्र सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसे लागू करेगी।
उन्होंने बताया कि जशपुर जिले में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा हर्बल एवं महुआ चाय जैसे पारंपरिक उत्पाद ‘जशप्योर’ ब्रांड के तहत तैयार किए जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, इन उत्पादों को व्यापक बाजार उपलब्ध कराने और विपणन को बढ़ावा देने के लिए इस ब्रांड को राज्य शासन अथवा छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सीएसआईडीसी) को हस्तांतरित करने के प्रस्ताव का मंत्री परिषद ने अनुमोदन किया है।
अधिकारियों ने बताया कि ब्रांड हस्तांतरण से कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय कच्चे माल की मांग बढ़ेगी और आदिवासी महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे। ट्रेडमार्क हस्तांतरण से राज्य पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने छत्तीसगढ़ राज्य में गौण खनिजों के सुव्यवस्थित अन्वेषण, पर्यवेक्षण और अधोसंरचना के विकास के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ‘स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट’ (एसएमईटी) के गठन की अधिसूचना के प्रारूप का अनुमोदन किया है।
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में एसएमईटी के तहत गौण खनिजों से प्राप्त होने वाली रॉयल्टी की दो प्रतिशत राशि अतिरिक्त रूप से एसएमईटी फंड में जमा की जाएगी, जिसका उपयोग गौण खनिजों के अन्वेषण, अधोसंरचना विकास में उच्च तकनीकों का उपयोग, सूचना प्रणाली, लॉजिस्टिक सहयोग, मानव संसाधनों के उन्नयन आदि में किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार के ‘नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट’ की तर्ज पर राज्य में ‘स्टेट मिनिरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट’ का गठन किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति सूची में तकनीकी कारणों से शामिल होने से वंचित जातियों को प्राप्त होने वाली सुविधाओं के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए डिहारी कोरवा, बघेल क्षत्री, संसारी उरांव तथा पबिया, पविया, पवीया समाज के विद्यार्थियों को अनुसूचित जनजाति के समतुल्य और डोमरा जाति के विद्यार्थियों को अनुसूचित जाति के समतुल्य राज्य के मद से राज्य छात्रवृत्ति तथा शिष्यवृत्ति प्रदान किये जाने और छात्रावास-आश्रमों में स्वीकृत सीट के अधीन प्रवेश दिए जाने की सुविधा प्रदान करने की सहमति दी है।
भाषा संजीव सुरेश
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