लुधियाना, 18 जून (भाषा) लुधियाना पश्चिम के उपचुनाव सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के लिए पंजाब में अपनी पकड़ साबित करने की ‘कसौटी’ होंगे। जबकि पूर्व में इस शहरी सीट पर छह बार विजयी रही कांग्रेस भी यहां फिर फतह हासिल करने के लिए जोर लगा रही है।
यद्यपि उपचुनाव में इस सीट पर मुख्य मुकाबला आप और कांग्रेस के बीच है, लेकिन नतीजे यह भी दिखाएंगे कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पंजाब में शहरी मतदाताओं पर कैसी पकड़ है।
यह उपचुनाव शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व की भी परीक्षा होगी। लगातार चुनावी पराजय के बाद उनकी पार्टी खुद को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है।
लुधियाना पश्चिम उपचुनाव के लिए मतदान 19 जून को और मतगणना 23 जून को होगी।
लुधियाना पश्चिम के आप विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के जनवरी में निधन के बाद ये विधानसभा सीट रिक्त हो गई थी।
इस सीट के लिए कुल 14 उम्मीदवार मैदान पर हैं।
राज्य में सत्तारूढ़ आप ने उपचुनाव के लिए राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा को मैदान पर उतारा है।
अरोड़ा (61) लुधियाना के उद्योगपति हैं और अपने सामाजिक कल्याण कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं। वह ‘कृष्ण प्राण ब्रेस्ट कैंसर चैरिटेबल ट्रस्ट’ चलाते हैं। अरोड़ा 2022 से राज्यसभा के सदस्य हैं।
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और कांग्रेस की पंजाब इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष भारत भूषण आशु (51) पर दांव लगाया है।
आशु 2012 और 2017 में दो बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं। वर्ष 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उन्हें गोगी ने 7,512 मतों के अंतर से हराया था। आशु पिछली कांग्रेस सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रह चुके हैं।
भाजपा ने पार्टी के वरिष्ठ नेता जीवन गुप्ता को मैदान पर उतारा है, जो पंजाब भाजपा की कोर कमेटी के सदस्य हैं। वह इससे पहले पार्टी की प्रदेश इकाई के महासचिव रह चुके हैं।
शिअद ने उपचुनाव के लिए परोपकर सिंह घुम्मन को अपना उम्मीदवार बनाया है। पेशे से अधिवक्ता घुम्मन यहां लुधियाना बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हैं।
लुधियाना पश्चिम उपचुनाव को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और सत्तारूढ़ आप के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए एक अग्निपरीक्षा के रूप में देखा जा रहा है।
पिछले साल नवंबर में आप ने चार विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में से तीन में जीत हासिल की थी।
इससे पहले पार्टी को लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा था, जिसमें वह 13 संसदीय क्षेत्रों में से केवल तीन पर ही जीत हासिल कर सकी थी।
आप नेतृत्व ने मतदाताओं से अरोड़ा के पक्ष में वोट देने का आग्रह किया और पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि अगर आप उम्मीदवार उपचुनाव में निर्वाचित होते हैं तो उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा।
कांग्रेस महासचिव व पंजाब मामलों के प्रभारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद चरणजीत सिंह चन्नी, कांग्रेस की पंजाब के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला, विधायक राणा गुरजीत सिंह और परगट सिंह समेत पार्टी नेताओं ने आशु के लिए प्रचार किया।
उपचुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, रवनीत सिंह बिट्टू, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, भाजपा नेता तरुण चुघ समेत कई नेताओं ने गुप्ता के लिए प्रचार किया।
पंजाब की 117 सदस्यीय विधानसभा में आप के 94 विधायक, कांग्रेस के 16, शिरोमणि अकाली दल के तीन, भाजपा के दो और बहुजन समाज पार्टी का एक विधायक है जबकि एक सीट निर्दलीय के पास है।
भाषा यासिर पवनेश
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