नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) के अध्यक्ष अनिल जैन ने दिल्ली उच्च न्यायालय से सितंबर 2024 में कराये गए संघ के चुनावों को अमान्य घोषित करने का अनुरोध किया है जिससे कार्यकारी समिति के नाराज सदस्यों ने 27 जून को बैठक बुलाई है।
राज्य संघों द्वारा पिछले साल जैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। एआईटीए की एक मान्यता प्राप्त इकाई ने उस समय आरोप लगाया था कि जैन ने संघ में अपने पद का उपयोग निजी फायदे के लिए किया था।
हालांकि नयी संस्था का चुनाव कराने वाली एजीएम (आम सालाना बैठक) से पहले अविश्वास प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था।
लेकिन सोमदेव देववर्मन और पूरव राजा द्वारा चुनावों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका के कारण चुनाव परिणाम न्यायालय के पास सीलबंद लिफाफे में रहे।
इसी याचिका पर जवाब देते हुए जैन ने 26 मई को दायर अपने अनुरोध में कहा कि एआईटीए के चुनावों को अमान्य घोषित किया जाना चाहिए लेकिन उन्होंने अदालत से प्रशासकों की समिति (सीओए) नियुक्त नहीं करने का अनुरोध भी किया क्योंकि इससे आईटीएफ (विश्व संचालन संस्था) के साथ एटीएफ (एशियाई संस्था) से आपत्तियां और प्रतिकूल प्रतिक्रिया आएगी जिससे एआईटीए के कामकाज में भी बाधा आएगी।
अनुरोध में कहा गया कि संविधान में संशोधन करने और साथ ही एआईटीए के कुशल कामकाज को सुनिश्चित करने का अंतिम उद्देश्य अदालत की निगरानी में वर्तमान प्रबंधन द्वारा ही हासिल किया जा सकता है।
हालांकि कार्यकारी समिति के सदस्यों ने दावा किया कि जैन ने संघ की ओर से जवाब दाखिल करने से पहले उनसे सलाह मश्विरा नहीं किया।
कार्यकारी समिति की बैठक का नोटिस जारी करने वाले हिरण्मय चटर्जी ने पीटीआई से कहा, ‘‘इस तरह के जवाब के लिए चुनाव आयोग की सहमति की जरूरत होती है। वह इस तरह से अदालत में जाकर यह दाखिल नहीं कर सकते। कार्यकारी समिति को एक प्रस्ताव पारित करना होता है, उसके बाद ही कोई याचिका या जवाब दाखिल किया जा सकता है। वह अन्य सभी सदस्यों को अयोग्य ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। ’’
चटर्जी ने कहा, ‘‘अब अनधिकृत लोग संगठन चला रहे हैं। ’’
जैन ने पीटीआई को बताया कि उन्हें किसी से सलाह लेने की आवश्यकता नहीं है।
जैन ने कहा, ‘‘मैं अब भी एआईटीए का अध्यक्ष हूं। महासचिव के खिलाफ ‘रिट’ याचिका दायर करते समय उन्होंने मुझसे सलाह नहीं ली। उनके निहित स्वार्थ हैं। मैं चुनाव प्रक्रिया से सहमत नहीं था इसलिए मैंने अपना नामांकन दाखिल नहीं किया। उन्होंने खेल संहिता के कार्यकाल संबंधी दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘एआईटीए को खेल संहिता का पालन करना चाहिए। यही सही है। उन्होंने जो कार्यकारी समिति की बैठक बुलाई है, वह भी अवैध है। महासचिन ने इसे नहीं बुलाया है और इसके लिए मुझसे सलाह नहीं ली गई है। मेरे खिलाफ उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव लगाया है, उसका कोई आधार नहीं है। ’’
एआईटीए के संविधान के अनुसार महासचिव ही अध्यक्ष की सहमति से केंद्रीय परिषद और कार्यकारी समिति की बैठकें बुला सकते हैं।
चटर्जी बंगाल टेनिस संघ (बीटीए) के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर महासचिव तीन सदस्यों के लिखित में अनुरोध प्राप्त होने के एक महीने के अंदर ऐसा नहीं करते हैं तो संविधान कार्यकारी समिति के सदस्यों को बैठक बुलाने का अधिकार भी देता है।
चटर्जी टेनिस संघ के उपाध्यक्ष (खेल) भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम कार्यकारी समिति की बैठक बुला सकते हैं। कार्यकारी समिति के नियमों और विनियमों के अनुच्छेद 8 (डी) हमें ऐसा करने का अधिकार देता है। ’’
जब महासचिव अनिल धूपर से संपर्क किया गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि यह नियम सदस्यों को बैठक बुलाने का अधिकार देता है लेकिन ऐसा सामान्य परिस्थितियों में होना चाहिए।
धूपर ने पीटीआई से कहा, ‘‘अभी यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए मैंने उनसे कहा कि कार्यकारी समिति की बैठक बुलाने से पहले न्यायालय का निर्देश लेना उचित है। ’’
कार्यकारी समिति की बैठक का नोटिस 16 जून को जारी किया गया, इसमें स्पष्ट किया गया कि इसमें महासचिव की भूमिका पर चर्चा की जाएगी।
धूपर 70 साल के हो चुके हैं और खेल संहिता पदाधिकारियों को इससे अधिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं देती है।
कार्यकारी समिति के एक अन्य सदस्य ने कहा, ‘‘हाल में भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने रोजर बिन्नी के 70 वर्ष का होने के बाद एक अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसलिए श्री धूपर को भी पद छोड़ देना चाहिए। ’’
भाषा नमिता सुधीर
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