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Wednesday, July 16, 2025

हमास की कैद से मुक्त हुए व्यक्ति ने पेंटिंग के माध्यम से बताई अपनी कहानी

Newsहमास की कैद से मुक्त हुए व्यक्ति ने पेंटिंग के माध्यम से बताई अपनी कहानी

न्यूयॉर्क, 27 मई (एपी) अगर आप आंद्रेई कोजलोव के स्टूडियो के अंदर देखें तो वहां हमास के बंधक के रूप में बिताए गए आठ महीनों से प्रेरित कई पेंटिंग हैं और उनमें आपको केवल अंधकार ही दिखाई देगा। उनकी पेंटिंग में आप क्रोध, अविश्वास और दर्द के भाव देख सकते हैं।

कोजलोव अब आजाद हैं, जिनके चेहरे पर अक्सर मुस्कान फैल जाती है। वह इस बात पर विश्वास नहीं कर पाते कि वह बच गए हैं। कोजलोव (28) न्यूयॉर्क के एक साझा कला स्टूडियो में कहते हैं, ‘‘जब आप अंधकार से घिरे होते हैं, तो अंदर हमेशा प्रकाश हो सकता है।’’

कैद से रिहा होने के लगभग एक साल बाद, कोजलोव विरोधाभासों से परिचित हो गए हैं। वह खुद को हालात के मुताबिक ढाल चुके हैं। अपनी पीड़ा का तथ्यात्मक वर्णन करने में वह सक्षम हैं, लेकिन कभी-कभी उनके दिमाग में वह बात आती है जिससे वह गुजरे थे।

वह जिंदा हैं और कृतज्ञता से भरे हुए हैं, लेकिन उन लोगों का भार महसूस करते हैं जो अभी तक मुक्त नहीं हुए हैं। कोजलोव अब बंधक नहीं हैं, लेकिन जानते हैं कि दुनिया हमेशा उन्हें एक बंधक के रूप में देख सकती है। वह कहते हैं, ‘‘हमेशा कहा जाएगा कि मुझे बंधक बनाया गया था। यह हमेशा मेरे जीवन का हिस्सा रहेगा।’’

इजराइल में एक संगीत कार्यक्रम से उनका अपहरण किया गया था।

कोजलोव रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में पले-बढ़े, लेकिन लंबे समय से उन्हें घूमने-फिरने का शौक था। सेना में अनिवार्य एक वर्ष की सेवा करने के बाद, उन्होंने इजराइल में रहने का फैसला किया। अगस्त 2022 में वह इजराइल पहुंचे। वहां वह एक कंपनी से जुड़ गए।

उन्हें सात अक्टूबर, 2023 को बंधक बना लिया गया गया, जो इजराइल के इतिहास का सबसे घातक दिन था।

कोजलोव की कैद के शुरुआती दिन ‘भयानक नरक’ थे। आठ महीनों तक उन्हें आठ अलग-अलग घरों में रखा गया, जहां उनके साथ रहने वाले दो दर्जन आतंकियों की एक टुकड़ी उनकी निगरानी करती थी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग दया का दिखावा करते थे, अन्य लोग अपने बंदियों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करते थे।

कुछ हिरासत स्थलों में, वह गीले, चिपचिपे गद्दे पर सोते थे, जिस पर फफूंद की बदबू आती थी; अन्य में कुछ बेहतर परिस्थितियां थीं। रस्सियों की जगह जंजीरें लगा दी गईं। कुछ महीनों के बाद, उनके अपहरणकर्ताओं ने थोड़ी रहम दिखाते हुए उन्हें एक पेंसिल और पतली नोटबुक दी।

आखिर 247वें दिन वह आजाद हुए। इजराइली रक्षा बल ने नुसेरात शरणार्थी शिविर के उस घर में धावा बोला, जहां कोजलोव को रखा गया था। सैन्य ऑपरेशन में उन्हें और तीन अन्य बंधकों को बचाया गया।

कुछ ही पलों में वह बाहर थे, महीनों में पहली बार उनके चेहरे पर सूरज की रोशनी पड़ रही थी, उसके हाथ में कोक था और होठों पर सिगरेट थी। एक हेलीकॉप्टर ने उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। मुक्त कराए जाने के बाद कुछ महीने उन्होंने इजराइल में बिताए, फिर अमेरिका चले गए।

हडसन नदी से एक ब्लॉक दूर अपने स्टूडियो में, वह अपने काम की प्रदर्शनी को अंतिम रूप दे रहे हैं। इनमें ज्यादातर ऐक्रेलिक पेंटिंग की एक श्रृंखला है जो उनके पकड़े जाने, कैद और रिहाई को दर्शाती है।

एपी आशीष अविनाश

अविनाश

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