नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) भारत विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक ऊर्जा बदलाव सूचकांक में 71वें स्थान पर रहा है। हालांकि, ऊर्जा दक्षता और निवेश क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
स्वीडन 118 देशों की सूची में शीर्ष पर है। उसके बाद फिनलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं। चीन 12वें, अमेरिका 17वें और पाकिस्तान 101वें स्थान पर है। कांगो सबसे निचले स्थान पर है।
हालांकि, भारत पिछले साल सूची 63वें स्थान पर था, लेकिन विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने कहा है कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत और चीन ने विशेष रूप से ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाने और हरित ऊर्जा की ओर तेजी से बदलाव के मामले में कुल मिलाकर सबसे अधिक सुधार किया है।
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि शीर्ष पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं… चीन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और भारत… अंततः अपने विशाल आकार के कारण वैश्विक ऊर्जा बदलाव की गति और दिशा निर्धारित करेंगे।
इन देशों की वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद, जनसंख्या और कुल ऊर्जा आपूर्ति में लगभग आधी हिस्सेदारी है। साथ ही, वैश्विक उत्सर्जन में लगभग दो-तिहाई हिस्सा इन्हीं देशों का है। यह उन्हें उनके उपभोग प्रतिरूप, निवेश प्रवाह और नीति विकल्पों के माध्यम से एक बड़ा प्रभाव देता है।
पिछले दशक में, भारत ने ऊर्जा और स्वच्छ ईंधन तक अधिक पहुंच के माध्यम से समानता बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। साथ ही ऊर्जा विनियमन और नवीकरणीय तथा अन्य स्वच्छ-ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में निवेश में भी सुधार किया है।
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि ग्रिड विश्वसनीयता में निरंतर सुधार, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ऊर्जा पहुंच और आयातित ऊर्जा पर निर्भरता को और कम करने से ऊर्जा सुरक्षा और समानता में और प्रगति हो सकती है।
‘‘बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, श्रम शक्ति विकास और वित्तपोषण स्थितियों में और निवेश देश के ऊर्जा बदलाव को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।’’
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि भारत ने ऊर्जा गहनता और कार्बन उत्सर्जन को कम करने, अधिक अनुकूल ऊर्जा विनियमन बनाने और स्वच्छ ऊर्जा निवेश बढ़ाने में भी प्रगति की है।
विश्व आर्थिक मंच ने कहा कि 2025 में 118 देशों में से 77 देशों ने अपनी स्थिति में सुधार किया। लेकिन सभी तीन ऊर्जा आयाम … ऊर्जा सुरक्षा, टिकाऊ और समानता… में आगे बढ़ने वाले देशों का हिस्सा केवल 28 प्रतिशत था। इससे यह पता चलता है कि अधिकांश देश अभी भी असमान रूप से प्रगति कर रहे हैं।
ऊर्जा सुरक्षा के मामले में अमेरिका सबसे आगे रहा, जबकि भारत ऊर्जा दक्षता और निवेश क्षमता के मामले में अग्रणी रहा।
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि वर्षों की सुस्त प्रगति के बाद सुरक्षित, न्यायसंगत और टिकाऊ ऊर्जा की दिशा में वैश्विक प्रगति तेज हो रही है।
हालांकि, बढ़ते वैश्विक तनाव, निवेश अंतराल और स्वच्छ ऊर्जा नवोन्मेष और जहां इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, वहां उपयोग के बीच बढ़ती दूरी गति को कमजोर कर सकती है।
एक्सेंचर के सहयोग से ऊर्जा बदलाव पर तैयार रिपोर्ट में तीन आयाम ऊर्जा सुरक्षा, टिकाऊ और समानता के अलावा राजनीतिक प्रतिबद्धता, वित्त और निवेश, नवोन्मेष तथा शिक्षा एवं मानव पूंजी के आधार पर 118 देशों की ऊर्जा प्रणालियों को आंका गया है।
भाषा रमण अजय
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