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Thursday, June 19, 2025

महाराष्ट्र में पहली से पांचवीं तक हिंदी ‘सामान्यत:’ तीसरी भाषा बनाई गई; कांग्रेस, मनसे ने की निंदा

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मुंबई/पुणे, 18 जून (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी कर राज्य में अंग्रेजी और मराठी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा एक से कक्षा पांच तक के विद्यार्थियों के लिए हिंदी को ‘‘सामान्य रूप से’’ तीसरी भाषा बनाया है, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया है।

हिंदी पर सरकार के ताजा आदेश से विवाद पैदा होने तथा कांग्रेस और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे की आलोचना के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को स्पष्ट किया कि छात्रों के लिए हिंदी सीखने की ‘‘अनिवार्यता’’ हटा दी गई है तथा अब किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुना जा सकता है। उन्होंने पूरे विवाद को अनावश्यक बताया।

मंगलवार को जारी संशोधित सरकारी आदेश (जीआर) में कहा गया है कि हिंदी अनिवार्य होने के बजाय ‘‘सामान्य रूप से’’ तीसरी भाषा होगी, लेकिन इसमें यह विकल्प भी दिया गया है कि यदि किसी स्कूल में प्रति कक्षा 20 विद्यार्थी हिंदी के अलावा कोई अन्य भारतीय भाषा पढ़ने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो वे इसे छोड़ सकते हैं।

कुछ मराठी भाषा समर्थकों ने जहां सरकार पर शुरू में पीछे हटने के बाद ‘‘अनिवार्य’’ हिंदी नीति को ‘‘पिछले दरवाजे’’ से पुनः लागू करने का आरोप लगाया, वहीं कांग्रेस ने फडणवीस पर मराठी लोगों की छाती में ‘‘छुरा घोंपने’’ का आरोप लगाया।

स्कूल शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप ‘स्कूल शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा 2024’ के कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में जीआर जारी किया।

जीआर के अनुसार, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों के लिए हिंदी ‘‘सामान्य’’ रूप से तीसरी भाषा होगी।

आदेश में कहा गया, ‘‘जो लोग हिंदी के विकल्प के रूप में कोई अन्य भाषा सीखना चाहते हैं, उन्हें स्कूल में प्रत्येक कक्षा से 20 छात्रों की अपेक्षा को पूरा करना होगा। ऐसी स्थिति में, उस विशेष भाषा के लिए एक शिक्षक उपलब्ध कराया जाएगा या भाषा को ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा।’’

सरकारी आदेश में कहा गया कि सभी विद्यालयों में मराठी अनिवार्य भाषा होगी।

फडणवीस ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘हमने पहले हिंदी को अनिवार्य कर दिया था, लेकिन कल जारी किए गए सरकारी आदेश में उस अनिवार्यता को हटा दिया गया है। नए सरकारी आदेश के अनुसार, छात्र तीसरी भाषा के रूप में किसी भी भारतीय भाषा का विकल्प चुन सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि एनईपी में त्रिभाषा फार्मूला प्रस्तावित किया गया है और नीति के अनुसार मातृभाषा अनिवार्य है तथा इसके अलावा छात्र दो अन्य भाषाएं सीखेंगे, जिनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए।

फडणवीस ने कहा, ‘‘स्वाभाविक रूप से, कई लोग तीन भाषाओं में से एक के रूप में अंग्रेजी को चुनते हैं।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भारतीय भाषाएं अंग्रेजी से बेहतर हैं। मैं समझता हूं कि अंग्रेजी संचार की भाषा है, लेकिन एनईपी की वजह से मराठी ज्ञान की भाषा बन गई है। हमने मराठी में इंजीनियरिंग पढ़ाना शुरू किया है, जो पहले नहीं किया जाता था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे डॉक्टर अब मराठी में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। एमबीए (पाठ्यक्रम) भी मराठी में पढ़ाया जा रहा है। एनईपी के कारण मराठी एक वैश्विक भाषा, ज्ञान और अर्थशास्त्र की भाषा बन रही है तथा महाराष्ट्र सरकार ने यह कदम उठाया है। मेरा मानना ​​है कि भाषाओं को लेकर इस तरह के विवाद अनावश्यक हैं।’’

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि छात्रों पर हिंदी ‘‘थोपने’’ की क्या जरूरत है? उन्होंने राज्य के विद्यालयों से अपील की कि वे सरकार के ‘‘जानबूझकर भाषायी विभाजन पैदा करने के गोपनीय एजेंडे’’ को विफल करें।

उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि सरकार विद्यालयों पर दबाव बनाती है तो मनसे उनके साथ ‘‘चट्टान’’ की तरह खड़ी रहेगी। उन्होंने मांग की कि अंग्रेजी और मराठी का दो-भाषा वाला पुराना फॉर्मूला जारी रखा जाए।

ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘परिणामों के लिए सरकार जिम्मेदार होगी। अगर वह सोचती है कि यह हमारी ओर से चुनौती है, तो ऐसा ही हो।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हिंदी के विकल्प की आवश्यकता क्यों है? स्कूल में उच्च कक्षाओं से ही हिंदी हमेशा एक वैकल्पिक भाषा रही है। जो लोग इस भाषा को सीखना चाहते हैं, वे हमेशा सीखते हैं। इसे छोटे बच्चों पर क्यों थोपा जाए?’’

उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 में यह नहीं कहा गया है कि विद्यालयों में हिंदी अनिवार्य भाषा होनी चाहिए, बल्कि स्थानीय लोगों की इच्छा के आधार पर निर्णय राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया है।

ठाकरे ने कहा कि गुजरात में त्रिभाषा फॉर्मूला नहीं है और वहां के विद्यालयों में हिंदी अनिवार्य नहीं है।

कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि त्रिभाषा फॉर्मूले पर ताजा सरकारी आदेश हिंदी थोपने की एक ‘‘सुनियोजित साजिश’’ है। उन्होंने सत्तारूढ़ ‘महायुति’ पर लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया।

सपकाल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया, ‘‘हिंदी अनिवार्य तीसरी भाषा होगी। यदि कोई अन्य भाषा सीखनी है, तो कम से कम 20 छात्रों की आवश्यकता है। यह एक विकल्प देने का दिखावा है और हिंदी को थोपने की योजनाबद्ध साजिश है। यह भाजपा का महाराष्ट्र विरोधी एजेंडा है और मराठी भाषा, मराठी पहचान एवं मराठी लोगों को खत्म करने की साजिश है।’’

भाषा

नेत्रपाल धीरज

धीरज

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