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Friday, July 11, 2025

न्यायालय ने 1995 के वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

Newsन्यायालय ने 1995 के वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को वक्फ अधिनियम, 1995 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब तलब किया।

प्रमुख न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया। पीठ ने, साथ ही, इस याचिका को इसी मामले में दायर अन्य याचिकाओं के साथ संबद्ध कर दिया।

याचिकाकर्ता निखिल उपाध्याय की ओर से अदालत में पेश अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने पीठ को बताया कि याचिका में वक्फ अधिनियम, 1995 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है।

उन्होंने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने से संबंधित शीर्ष अदालत के 17 अप्रैल के आदेश का हवाला दिया।

उपाध्याय ने कहा कि उस आदेश में अदालत ने कहा था कि 1995 के कानून और 2013 में इसमें किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अलग से वाद सूची में दिखाया जाएगा।

न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, ‘‘वर्ष 1995 के अधिनियम को 2025 में चुनौती देने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए?’’ उन्होंने यह भी पूछा कि देरी के आधार पर याचिका को क्यों खारिज नहीं किया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिका में 2013 में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है।

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत 2020 में दायर उन याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही है, जिनमें पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है।

पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई और इसे पहले से लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया।

वर्ष 1995 के कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया है, ‘‘संसद गैर-मुसलमानों को उनकी संपत्तियों से वंचित करके वक्फ और वक्फ संपत्तियों के पक्ष में कानून नहीं बना सकती, न ही वक्फ संपत्तियों को अनुचित लाभ देने वाला विशेष प्रावधान ही कर सकती है।’’

शीर्ष अदालत ने 22 मई को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 से संबंधित मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद तीन प्रमुख मुद्दों पर अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया।

इनमें से एक मुद्दा 2025 के संशोधन अधिनियम में निर्धारित ‘‘अदालतों द्वारा वक्फ, वक्फ बाय यूजर्स या विलेख द्वारा वक्फ’’ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति से संबंधित है।

सर्वोच्च न्यायालय ने पहले तीन मुद्दों की पहचान की थी, जिन पर अंतरिम आदेश पारित करने का याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया था।

भाषा सुरेश माधव

माधव

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