नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तहत लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की बोली जीत ली है।
एसएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के 500 किलोग्राम वजन तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के लिए किया जाता है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र के अध्यक्ष पवन गोयनका ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की।
बेंगलुरू स्थित एचएएल ने अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज तथा राज्य समर्थित भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के दो समूह को पीछे छोड़कर यह बोली जीती। अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज अदाणी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज द्वारा समर्थित कंपनी है।
गोयनका ने कहा कि इसरो दो वर्षों तक एचएएल का मार्गदर्शन करेगा, जिसके दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी को समान डिजाइन और समान आपूर्तिकर्ताओं वाले दो रॉकेट विकसित करने होंगे।
गोयनका ने कहा, ‘‘एचएएल को तीसरे रॉकेट के डिजाइन में सुधार करने और अपने स्वयं के विक्रेताओं का चयन करने की स्वतंत्रता होगी।’’
एचएएल के निदेशक (वित्त) बी. सेनापति ने कहा कि एसएसएलवी के निर्माण की बोली जीतना एचएएल के लिए गर्व की बात है।
एसएसएलवी को छोटे उपग्रहों को कम समय में पृथ्वी की निचली कक्षा में प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया है, जो आपातकालीन समय में रक्षा बलों के लिए आवश्यक क्षमता है।
एसएसएलवी 10 किलोग्राम से लेकर 500 किलोग्राम भार वाले उपग्रहों को 500 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित करने में सक्षम है।
एसएसएलवी तीन-चरणीय एक प्रक्षेपण यान है जिसमें सभी ठोस प्रणोदन चरण और अंतिम चरण के रूप में द्रव प्रणोदन-आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (वीटीएम) है।
भाषा रवि कांत प्रशांत
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