नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) दिग्गज बैंकर और एचडीएफसी लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा है कि आईसीआईसीआई बैंक ने एचडीएफसी लिमिटेड को अपने नियंत्रण में लेने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया।
एचडीएफसी बैंक की मूल इकाई एचडीएफसी लिमिटेड ने बाद में अपनी बैंकिंग अनुषंगी कंपनी के साथ विलय कर देश का सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का ऋणदाता बनाया।
यह विलय एक जुलाई, 2023 से प्रभावी हुआ। रिवर्स विलय के साथ, 44 वर्षीय संस्था एचडीएफसी लिमिटेड पुरानी यादों में खो गई।
दिलचस्प बात यह है कि एचडीएफसी लिमिटेड के निर्माण में आईसीआईसीआई बैंक की मूल इकाई आईसीआईसीआई लिमिटेड ने वित्तीय सहायता दी थी।
आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर के साथ बातचीत के दौरान पारेख ने कहा, “मुझे याद है कि आपने मुझसे एक बार बात की थी…आपने कहा था कि आईसीआईसीआई ने एचडीएफसी की शुरुआत की थी। आप घर वापस क्यों नहीं आते?, यह आपका प्रस्ताव था।”
इस बातचीत को यूट्यूब पर जारी किया गया। हालांकि, पारेख ने कहा कि उन्होंने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि “यह हमारे नाम और बैंक और सभी के लिए उचित नहीं होगा।”
उन्होंने कहा कि बाद में जुलाई, 2023 में एचडीएफसी बैंक के साथ वापस विलय मुख्य रूप से विनियामक दबाव से प्रेरित था।
पारेख ने कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हमारा समर्थन किया और उन्होंने हमें कुछ हद तक इसमें धकेला और उन्होंने हमारी मदद की… कोई रियायत नहीं, कोई राहत नहीं, कोई समय नहीं, कुछ भी नहीं लेकिन उन्होंने हमें प्रक्रिया से गुजरने और मंजूरी प्राप्त करने में मदद की।”
विलय को संस्थान के लिए अच्छा बताते हुए उन्होंने कहा कि देश के लिए बड़े बैंकों का होना अच्छा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकों को भविष्य में मजबूत बनने के लिए अधिग्रहण के माध्यम से वृद्धि करनी होगी।
भाषा अनुराग पाण्डेय
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