तेल अवीव, 22 जून (एपी) इजराइल और ईरान के बीच जारी युद्ध में अब अमेरिका भी कूद पड़ा है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के मकसद से इजराइल की ओर से शुरू किए गए हमलों को मजबूती प्रदान करते हुए अमेरिका ने रविवार तड़के तीन ईरानी परमाणु केंद्रों पर हमले किए।
तेहरान की जवाबी कार्रवाई की धमकी के बीच एक दीर्घकालिक दुश्मन को कमजोर करने के लिहाज से यह एक जोखिम भरा कदम है, जिससे व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष छिड़ सकता है।
अमेरिका और इजराइल के अधिकारियों ने कहा है कि ‘अमेरिकन स्टील्थ बॉम्बर’ और 30,000 पाउंड वजनी ‘बंकर-बस्टर बम’ ने जमीन के अंदर गहरे में स्थापित ईरानी परमाणु केंद्रों को नष्ट कर दिया। ‘बंकर-बस्टिंग बम’ को ‘जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर’ के रूप में जाना जाता है, जिसका इस्तेमाल जमीन के भीतर लक्ष्य को भेदने और विस्फोट में किया जाता है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमलों की घोषणा की। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘इरना’ ने अपनी खबर में देश के फोर्दो, इस्फहान और नतांज परमाणु केंद्रों को निशाना बनाकर किए गए हमलों की पुष्टि की।
इजराइल ने करीब एक सप्ताह से अधिक समय से ईरान के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है और उसकी हवाई रक्षा एवं मिसाइल क्षमताओं को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने के साथ परमाणु संवर्धन इकाइयों को नुकसान पहुंचा रहा है, जिसके बाद अमेरिका को सीधे तौर पर इसमें शामिल करने का निर्णय लिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था के प्रमुख ने कहा है कि वह इस संबंध में सोमवार को बैठक करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के प्रमुख ने इजराइल-ईरान युद्ध में अमेरिकी दखल का हवाला देते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि वह सोमवार को ‘बोर्ड ऑफ गवर्नर’ की बैठक आयोजित करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी अपने विरोधाभासी बयानों के कारण हाल के दिनों में ईरान की आलोचना का शिकार रहे हैं।
ईरान ने कहा है कि उसने अमेरिका के हमले के बाद अपने सबसे बड़े बैलिस्टिक मिसाइल से इजराइल पर निशाना साधा है।
ईरान की सरकारी टीवी ने ‘खोर्रमशहर-4’ मिसाइल के पिछले परीक्षण के फुटेज दिखाए, जिसके साथ स्क्रीन पर कैप्शन में लिखा गया है कि इसका इस्तेमाल रविवार को इजराइल पर बमबारी में किया गया था।
‘खोर्रमशहर-4’, ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल बेड़े के सबसे भारी मिसाइलों में से एक है। ईरान का कहना है कि मिसाइल की रेंज 2,000 किलोमीटर है और इसमें 1,500 किलोग्राम का ‘वारहेड’ है।
मिसाइल का नाम ईरान के एक शहर के नाम पर रखा गया है जो 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान भारी लड़ाई का स्थल था। मिसाइल को खेबर भी कहा जाता है, जो 7वीं शताब्दी में मुसलमानों द्वारा जीते गए एक यहूदी किले के नाम पर है जो अब सऊदी अरब में है।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका ने ‘ईरान के खिलाफ खतरनाक युद्ध शुरू किया है’।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि ईरान ‘‘अमेरिकी सैन्य आक्रमण और शासन द्वारा किए गए अपराधों के खिलाफ पूरी ताकत से विरोध करने तथा ईरान की सुरक्षा एवं राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने का अपना अधिकार रखता है।’’
इजराइल में ईरान के मिसाइल हमलों में 16 लोग घायल हुए हैं वहीं ईरान पर भी इजराइल के नए हमलों की सूचना है।
ईरान ने इजराइल के लिए जासूसी के आरोप मेंएक व्यक्ति को फांसी की सजा दी।
न्यायपालिका की ‘मिजान’ समाचार एजेंसी ने व्यक्ति की पहचान माजिद मोसायेबी के रूप में की है और बताया कि व्यक्ति को क्रिप्टोरकेंसी भुगतान के बदले में जासूसी करने के आरोप में रविवार को फांसी दी गई।
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था ने कहा है कि ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हमले के बाद विकिरण के कोई संकेत नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा है कि ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हमले के बाद विकिरण के कोई संकेत नहीं हैं।
संस्था ने कहा, ‘‘आईएईए इस बात की पुष्टि कर सकती है कि अब तक विकिरण के कोई संकेत नहीं मिले हैं। अधिक जानकारी मिलने पर आईएईए ईरान में हालात के संबंध में अन्य जानकारी उपलब्ध कराएगी।’’
इजराइल पर ईरान के मिसाइल हमलों में देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्र के इलाके प्रभावित हुए हैं। इन हमलों में इजराइल में कम से कम 24 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमलों की जानकारी देते हुए कहा कि ईरान के परमाणु केंद्र ‘‘पूरी तरह से नष्ट कर दिए गए हैं’’। साथ ही उन्होंने ईरान को चेतावनी दी कि अगर उसने जवाबी कार्रवाई की तो उसके खिलाफ और अधिक हमले किए जा सकते हैं।
हमले के बाद क्षति का कोई स्वतंत्र आकलन नहीं किया गया है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या अमेरिका अपने सहयोगी इजराइल के साथ ईरान पर हमला जारी रखेगा। इजराइल ने पिछले नौ दिन से ईरान के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है।
ट्रंप ने कांग्रेस (अमेरिकी संसद) की अनुमति के बिना यह कार्रवाई की तथा उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ईरान ने अमेरिकी सेना के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की तो और अधिक हमले किए जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ईरान में या तो शांति होगी या फिर त्रासदी होगी।’’
ईरान के शीर्ष राजनयिक और विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में चेतावनी दी कि अमेरिकी हमलों के ‘‘दूरगामी परिणाम होंगे’’ और तेहरान के पास जवाबी कार्रवाई करने के लिए ‘‘सभी विकल्प सुरक्षित हैं’’।
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत ने अमेरिकी हमलों को लेकर सुरक्षा परिषद की एक आपातकालीन बैठक बुलाने का आह्वान किया।
‘एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) को मिले एक पत्र में, राजदूत आमिर सईद ईरावानी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सबसे शक्तिशाली निकाय को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अमेरिका को जवाबदेह ठहराने के लिए ‘सभी आवश्यक उपाय’ करने चाहिए।
ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने पुष्टि की है कि उसके फोर्दो, इस्फहान और नतांज में स्थित स्थलों पर हमले हुए हैं, लेकिन इससे उसका काम नहीं रुकेगा।
ईरान ने कहा कि इन परमाणु केंद्रों पर हमले के बाद विकिरण के कोई संकेत नहीं हैं और आस पास के निवासियों को कोई खतरा नहीं है।
ईरान यह कहता रहा है कि उसके परमाणु कार्यक्रम सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हैं, साथ ही अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि ईरान सक्रिय रूप से बम निर्माण नहीं कर रहा है। हालांकि ट्रंप और इजराइल के नेताओं ने दावा किया कि ईरान जल्द परमाणु हथियार तैयार कर सकता है, जिससे वह एक आसन्न खतरा बन जाएगा।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, ‘‘हमने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों फोर्दो, इस्फहान और नतांज पर सफलतापूर्वक हमला किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमले को अंजाम देने के बाद सभी विमान ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर आ गए हैं।’’
ट्रंप ने बाद में पोस्ट में लिखा, ‘‘यह अमेरिका, इजराइल और दुनिया के लिए ऐतिहासिक क्षण है। ईरान को अब इस युद्ध को समाप्त करने के लिए सहमत होना चाहिए। धन्यवाद!’’
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान पर हमले करने के अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के लिए उनकी सराहना की है।
नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश में ट्रंप से कहा, ‘‘ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने का आपका साहसिक निर्णय इतिहास बदल देगा…।’’
नेतन्याहू ने कहा कि अमेरिका ने जो किया है वो इस धरती पर कोई अन्य देश नहीं कर सकता।
इजराइल ने रविवार को घोषणा की कि वह अमेरिकी हमलों के मद्देनजर देश के हवाई क्षेत्रों को आने और जाने वाली उड़ानों के लिए बंद कर देगा।
‘व्हाइट हाउस’ (अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) और पेंटागन (अमेरिका रक्षा मंत्रालय का मुख्यालय) ने अभियान के बारे में तत्काल विस्तार से नहीं बताया। अमेरिका के सैन्य नेता इस बारे में बाद में जानकारी देंगे।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ‘‘सटीकता, तीव्रता और कुशलता’’ से ऐसे और अधिक केंद्रों को निशाना बना सकता है।
ट्रंप ने ‘व्हाइट हाउस’ से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ईरान में या तो शांति होगी या फिर त्रासदी होगी, जो पिछले आठ दिनों में देखी गई त्रासदी से कहीं अधिक घातक होगी।’’
एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी सेना ने ईरान में पर्वतीय क्षेत्र में बनाए गए फोर्दो परमाणु ऊर्जा संवर्धन संयंत्र पर ‘बंकर-बस्टर’ बमों का से हमला किया।
अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर सैन्य अभियानों के बारे में जानकारी दी।
एक अन्य अमेरिकी अधिकारी ने भी नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि अमेरिकी पनडुब्बियों ने भी ईरान में हमलों में भाग लिया और जमीनी हमला करने में सक्षम लगभग 30 ‘टॉमहॉक’ मिसाइलें दागीं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि वह ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के बम हमलों से बेहद चिंतित हैं।
गुतारेस ने एक बयान में कहा, ‘‘इस बात का जोखिम है कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है जिसके नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘इस जोखिम भरे वक्त में यह अहम है कि हम अराजकता के चक्र से बचें।’’ संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने मुद्दे के कूटनीतिक समाधान का आह्वान किया।
ट्रंप ने शुक्रवार को संवददाताओं से कहा था कि वह ईरान में सैनिकों को भेजने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने पहले संकेत दिया था कि वह दो सप्ताह में अंतिम निर्णय लेंगे।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बुधवार को अमेरिका को चेतावनी दी थी कि ईरान को निशाना बनाकर किए गए हमलों का ‘‘अंजाम ठीक नहीं होगा और उसे भारी नुकसान उठाना होगा’’।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बागेई ने कहा कि ‘‘अमेरिका का कोई भी दखल क्षेत्र के लिए घातक होगा’’।
इजराइल की सेना ने शनिवार को कहा था कि वह युद्ध के लंबे समय तक चलने की संभावना के मद्देनजर तैयारियों में जुटी है जबकि ईरान के विदेश मंत्री ने अमेरिकी हमलों से पहले चेतावनी दी थी कि ‘‘अमेरिकी सेना की संलिप्तता हर किसी के लिए बहुत खतरनाक साबित होगी’’।
एपी सुरभि संतोष
संतोष