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Sunday, June 22, 2025

होर्मुज जलडमरूमध्य के अवरुद्ध होने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित होगी: विशेषज्ञ

Newsहोर्मुज जलडमरूमध्य के अवरुद्ध होने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित होगी: विशेषज्ञ

नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) सामरिक मामलों के विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ने वाले संकरे मार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य पर जहाजों की आवाजाही के अवरुद्ध होने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर अमेरिका की बमबारी के बाद, ईरान ने संकेत दिया है कि होर्मुज जलडमरूमध्य को नौवहन के लिए बंद करना, अपने विरोधियों पर दबाव बनाने के लिए एक विकल्प हो सकता है।

उन्होंने कहा कि दुनियाभर में प्रतिदिन लगभग 30 प्रतिशत तेल और एक तिहाई एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) की आपूर्ति इस जलडमरूमध्य के रास्ते की जाती है।

उन्होंने कहा कि इसके बंद होने से वैश्विक आपूर्ति में कटौती होगी, जिससे तेल की कीमतें बढ़ेंगी।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन विशेष केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण कुमार बेहरा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि इस संकरे मार्ग के बंद होने से ऊर्जा बाजारों पर वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा और इसका असर भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर भी देखने को मिलेगा।

बेहरा ने कहा कि महत्वपूर्ण जलडमरूमध्य में किसी भी व्यवधान से इराक से भारत के कच्चे तेल के आयात और कुछ हद तक सऊदी अरब पर बड़ा असर पड़ेगा। खाड़ी क्षेत्र में घटनाक्रमों पर करीबी नजर रखने वाले भारतीय नौसेना के पूर्व प्रवक्ता कैप्टन डी के शर्मा (सेवानिवृत्त) ने कहा कि होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध करने की ईरान की धमकी से वैश्विक तेल व्यापार में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा हो सकता है।

उन्होंने कहा कि पोत परिवहन यातायात में किसी भी तरह की बाधा से बीमा प्रीमियम पर असर पड़ सकता है।

उन्होंने कहा, ‘क्षेत्र में बढ़ते तनाव के कारण तेल की कीमतों में उछाल आने की उम्मीद है, कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि ईरान की ओर से जवाबी कार्रवाई किए जाने पर कीमतें 80-90 डॉलर प्रति बैरल या यहां तक ​​कि 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।’

शर्मा ने यह भी कहा कि क्षेत्र के देशों की मुद्राओं में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है और निवेशक अन्य स्थिर बाजारों की तलाश कर सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक हालिया विश्लेषण के अनुसार, होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरने वाले मार्ग में थोड़ी सी भी बाधा आने से तेल बाजारों पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

विश्लेषण में कहा गया है, ‘भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण तेल उत्पादक और उपभोक्ता दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं, इसलिए तेल आपूर्ति सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा नीति के एजेंडे में सबसे ऊपर बनी हुई है।’

रविवार की सुबह अमेरिका ने ईरान में तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों – फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर बमबारी की और इजराइल-ईरान संघर्ष में कूद गया।

बाद में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरानी परमाणु स्थल ‘पूरी तरह से नष्ट’ कर दिए गए हैं।

बेहरा ने कहा कि अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है तो उसे भी आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे क्योंकि ऐसा कदम तेहरान के निर्यात को बुरी तरह प्रभावित करेगा।

इजराइल के साथ ईरान की शत्रुता की शुरुआत के बाद से, ईरानी अधिकारियों ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की संभावना के बारे में बात की है।

ईरानी दूतावास में मिशन के उप प्रमुख मोहम्मद जावेद हुसैनी ने शुक्रवार को कहा कि होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करना एक विकल्प है।

उन्होंने कहा, ‘हमारे पास कई विकल्प हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम उन्हें आजमाने वाले हैं। यह अन्य पक्षों की इच्छा पर निर्भर करता है। अगर वे समस्या को हल करना चाहते हैं, तो निश्चित रूप से इनमें से कुछ चीजों को अलग रखा जाएगा।”

भाषा

जोहेब सुभाष

सुभाष

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