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Sunday, June 22, 2025

आपातकाल में रहा अध्यादेश का राज, मीसा में पांच संशोधन सहित 48 अध्यादेश लागू किए गए

Newsआपातकाल में रहा अध्यादेश का राज, मीसा में पांच संशोधन सहित 48 अध्यादेश लागू किए गए

(कॉपी में संपादकीय सुधार और अतिरिक्त सामग्री के साथ रिपीट)

नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) आपातकाल के दौरान तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में कुल 48 अध्यादेश लागू किए थे जिसमें आंतरिक सुरक्षा कानून अधिनियम (मीसा) में संशोधन के लिए लाए गए पांच अध्यादेश भी शामिल थे।

प्रशासन को बिना किसी वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार देने वाले इस कानून को अक्सर ‘दमनकारी’ कानून की संज्ञा दी जाती है।

पचास वर्ष पहले 25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल 21 महीने जारी और इस दौरान सरकार ने कई बार संविधान में बदलाव किए जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया तथा संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़ना जोड़े गए।

विभिन्न कानूनों में संशोधनों से सत्ता संतुलन केंद्र सरकार के पक्ष में हो गया और न्यायपालिका की शक्तियों में कटौती कर दी गई।

देश में आपाताकाल लागू होने पर कुछ ही दिनों के भीतर 29 जून 1975 को सरकार ने मीसा में बदलाव करने के लिए पहला अध्यादेश जारी किया। आपातकाल के दौरान मीसा (संशोधन) अध्यादेश को और चार बार लागू किया गया तथा संसद द्वारा उसे मंजूरी दे दी गई।

अगले ही दिन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने एक अध्यादेश भारत रक्षा अधिनियम (संशोधन) लागू किया, जिससे सरकार को देश में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज्यादा शक्तियां मिल गईं।

आपातकाल के दौरान संसद के संक्षिप्त सत्र आयोजित किए गए। विपक्ष के कई नेता सलाखों के पीछे थे और कांग्रेस ने अपने प्रचंड बहुमत का इस्तेमाल करते हुए कई अध्यादेशों पर संसदीय मोहर लगवाने के लिए मसौदा विधेयक को पारित कर दिया।

लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. आचारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘आपातकाल के दौरान संसद के सत्र सामान्य से कम थे, जिनमें से अधिकांश सत्र नए विधेयकों को पारित करने के साथ ही अध्यादेशों के स्थान पर लाए गए विधेयकों को मंजूरी देने के लिए आहूत किए गए थे।’’

आपातकाल के दौरान जारी किया गया एक अन्य प्रमुख अध्यादेश ‘विवादास्पद चुनाव (प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष) अध्यादेश’ था जिसका मकसद प्रधानमंत्री और अध्यक्ष के चुनाव पर सवाल उठाने संबंधी याचिका से निपटने के लिए एक प्राधिकार की स्थापना करना था।

21 मार्च को आपातकाल की समाप्ति से मात्र एक माह पहले ही तीन फरवरी 1977 को यह अध्यादेश लागू किया गया था।

किसी चुनाव के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति देने के बजाय, उसने ऐसे हाई-प्रोफाइल मामलों से निपटने के लिए एक प्राधिकरण बनाया।

इस अध्यादेश को कानून में बदल दिया गया और अगली सरकार ने इसे निरस्त कर दिया।

आपातकाल लागू होने के बाद 1975 में 26 अध्यादेश जबकि 1976 में 16 अध्यादेश लाए गए थे।

आपातकाल हटाए जाने से पहले 1977 में सरकार ने छह अध्यादेश लागू किए।

संसद के कामकाज का जिक्र करते हुए आचारी ने कहा कि उस समय ज्यादातर विपक्षी नेता जेल में थे इसलिए सरकार के लिए संसद में बिल पास करवाना बहुत आसान था।

उन्होंने कहा कि 42वें संविधान (संशोधन) अधिनियम ने संविधान में ‘‘बड़े’’ परिवर्तन किए।

अगली सरकार द्वारा पारित 44वें संविधान (संशोधन) अधिनियम ने 42वें संशोधन द्वारा लाए गए कई परिवर्तनों को पलट दिया।

आचारी ने कहा कि आपातकाल लगाने से संबंधित अनुच्छेद 352 में किए गए परिवर्तनों ने चीजों को ‘व्याख्या के लिए खुला’ छोड़ दिया।

आचारी ने कहा कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बिगड़ते हालात का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सहमति के बिना ही राष्ट्रपति से आपातकाल लगाने की सिफारिश की थी, जिसके कारण मंत्रिमंडल की बैठक तत्काल नहीं बुलाई जा सकी।

लोक सभा का कार्यकाल 18 मार्च, 1976 को समाप्त होने से कुछ सप्ताह पहले ‘लोक सभा (अवधि विस्तार) विधेयक’ लोक सभा द्वारा 4 फरवरी, 1976 को पारित किया गया। राज्य सभा ने लोक सभा का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ाने के लिए विधेयक 6 फरवरी, 1976 को पारित किया।

हालाँकि इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी 1977 को चुनावों की घोषणा कर दी और 24 मार्च 1977 को जनता पार्टी के नेता मोरारजी देसाई के नेतृत्व में नई सरकार के सत्ता में आने के साथ ही आपातकाल हटा लिया गया।

मीसा के दुरुपयोग, विशेष रूप से आपातकाल के दौरान, की व्यापक आलोचना के बाद इसे 1978 में निरस्त कर दिया गया।

1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सार्वजनिक सुरक्षा से निपटने के लिए बनाया गया भारत रक्षा अधिनियम मार्च 1977 में आपातकाल समाप्त होने के साथ ही समाप्त हो गया।

आपातकाल के दौरान बनाए गए कुछ कानून, जिनमें संविधान की प्रस्तावना में संशोधन और मौलिक अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों को शामिल करना शामिल है, अभी भी लागू हैं।

भाषा खारी शोभना

शोभना नरेश

नरेश

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