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Sunday, June 22, 2025

विमान हादसे के साक्ष्यों को जोड़ना कठिन प्रक्रिया होगी, जांच में लगेगा समय : हांडा

Newsविमान हादसे के साक्ष्यों को जोड़ना कठिन प्रक्रिया होगी, जांच में लगेगा समय : हांडा

(मनोज राममोहन)

नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) अहमदाबाद में 12 जून को हुए घातक एअर इंडिया विमान हादसे की जांच जारी रहने के बीच, विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) के पूर्व महानिदेशक ग्रुप कैप्टन अरबिंदो हांडा (सेवानिवृत्त) ने कहा कि साक्ष्यों को एक साथ जोड़ना कठिन प्रक्रिया होगी।

हांडा ने कहा कि दुर्घटना के दृश्यों को देखकर लगता है कि विमान आग से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है और साक्ष्यों को एक साथ जोड़ना एक कठिन प्रक्रिया होगी।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से जांच प्रक्रिया के बारे में बातचीत करते हुये कहा, ‘‘ पूरी संभावना है और निष्पक्षता से कहा जाए तो जांच एक लंबी प्रक्रिया होगी।’’

हांडा आईसीएओ-एपीएसी क्षेत्र के दुर्घटना जांच समूह (एआईजी) के पूर्व अध्यक्ष भी हैं।

हांडा के कार्यकाल के दौरान, एएआईबी ने 100 से अधिक जांच की हैं, जिनमें अगस्त 2020 में केरल के कोझीकोड में हुई एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान की घातक दुर्घटना भी शामिल है।

साक्षात्कार

प्रश्न:आपके अनुसार अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान दुर्घटना की जांच में कितना समय लगेगा?

उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय नागर उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के अनुलग्नक 13 के साथ-साथ एएआईबी नियमों के अनुसार किसी भी जांच को अधिमानतः एक वर्ष से कम समय में पूरा किया जाना चाहिए।

हमारे जांचकर्ताओं का प्रयास है कि जांच को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि ऐसी किसी भी पुनरावृत्ति से बचने के लिए डीजीसीए के माध्यम से उपचारात्मक कार्रवाई जल्दी से जल्दी शुरू की जा सके।

हालांकि, इस दुर्घटना के दृश्यों को देखकर, आप समझ जाएंगे कि यह विमान आग से बहुत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इसलिए, साक्ष्यों की एक दूसरे से पुष्टि करना और कड़ियों को जोड़ना एक थकाऊ प्रक्रिया होगी। सभी संभावनाओं और निष्पक्षता की दृष्टि से जांच एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया होने की संभावना है।

प्रश्न: किसी विमान दुर्घटना की जांच के दौरान संभावित कारणों का पता कैसे लगाया जाता है?

उत्तर: सार्थक साक्ष्यों की गहन और विस्तृत जांच लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है।

रिकॉर्डर से डेटा का विश्लेषण करने के बाद, जांचकर्ता सबसे उन संभावित प्रणालियों और/या उप-प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो खराब हो गये हों और/या जिनकी खराबी से हादसा हुआ हो।

कदम दर कदम, दुर्घटना के हर संदिग्ध कारणों की गहराई से जांच की जाती है और असंभावित कारणों को खारिज किया जाता है जो एक कठोर प्रक्रिया है।

प्रश्न: विमान दुर्घटना की जांच का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर: आईसीएओ के अनुलग्नक 13 और एएआईबी नियमावली 2012 (समय-समय पर संशोधित) के अनुसार जांच का उद्देश्य सबसे संभावित मूल कारण का पता लगाना है, न कि दोष या दायित्व का निर्धारण करना।

प्रश्न: जांच में व्यापक चरण क्या हैं?

उत्तर: आईसीएओ ने ‘डीओसी 9756’ या दुर्घटना जांच निमयावली जारी की है। वैश्विक स्तर पर जांचकर्ता इस नियमावली का पालन करते हैं, जिसमें विमान दुर्घटना के सबसे संभावित कारण का पता लगाने के लिए विस्तृत प्रक्रियाएं बताई गई हैं।

इसके अलावा, ‘डीओसी 9756’ और अपने अनुभवों के आधार पर एएआईबी ने ‘प्रक्रिया निमयावली’ नामक एक दस्तावेज तैयार किया है, जिसमें भारत में अपनाई जाने वाली जांच प्रक्रिया/प्रक्रियाएं शामिल हैं।

प्रश्न: विमान दुर्घटना स्थल पर पहुंचने के बाद एएआईबी जांचकर्ताओं की प्राथमिकताएं क्या हैं?

उत्तर: जाहिर है, जब कोई दुर्भाग्यपूर्ण विमान दुर्घटना होती है, तो हवाई अड्डे के कर्मचारियों, सुरक्षा कर्मियों जैसे कि सीआईएसएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस जैसे ‘प्रथम कार्रवाई करने वालों’ का तत्काल ध्यान जीवन बचाने पर होता है।

एएआईबी अपनी टीम के दुर्घटना स्थल पर पहुंचते ही गतिविधियों का प्रभार संभाल लेता है और शेष कार्य के लिए ‘प्रथम कार्रवाई करने वालों’ के साथ समन्वय करना शुरू कर देता है।

सामान्य क्षेत्र की घेराबंदी करने के बाद, एएआईबी दुर्घटना स्थल पर किसी भी गतिविधि को नियंत्रित और विनियमित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि साक्ष्य अनजाने में नष्ट न हो जाएं या जानबूझकर छेड़छाड़ न की जाए।

एएआईबी जांचकर्ता उप-समूहों में विभाजित हो जाते हैं । ये उपसमूह मलबे को उपसमूहों में अलग करना शुरू कर देते हैं जैसे कि फ्लाइट रिकॉर्डर, एयरफ्रेम, प्रणोदन, एवियोनिक्स और नियंत्रण, आदि।

पहला और सबसे महत्वपूर्ण कार्य रिकॉर्डर यानी कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) और डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (डीएफडीआर) को हासिल करना होता है।

एक बार जब ये चीजें हासिल कर ली जाती हैं, तो अगला चरण इन रिकॉर्डर से ‘कच्चे डेटा निकालना’ होता है। फिर कच्चे डेटा को कार्रवाई योग्य और व्यावहारिक ‘इंजीनियरिंग मापदंडों’ में बदल दिया जाता है।

फिर, इन इंजीनियरिंग मापदंडों को सार्थक और विश्वसनीय व्याख्या प्राप्त करने के लिए ग्राफ़ और चार्ट में बदल दिया जाता है।

प्रश्न : विमान दुर्घटना की जांच के दौरान डेटा का विश्लेषण करने में भारत की क्षमता कितनी मजबूत है?

उत्तर: एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में भारत रिकॉर्डर का विश्लेषण करने के लिए काफी सक्षम है। एएआईबी डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) और एयरलाइनों के पास भी अपनी रिकॉर्डर प्रयोगशालाएं हैं।

यदि आवश्यकता हुई तो एएआईबी एनएएल (नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज), बेंगलुरु, एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड), कोरवा और एलसीए (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोजेक्ट से मदद ले सकता है, क्योंकि उनके पास उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा और अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विषय विशेषज्ञ हैं, जिन्हें विमान दुर्घटना जांच में सहायता करने और सलाह देने के लिए चुना जा सकता है।

भाषा राजकुमार रंजन

रंजन

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