(मानष प्रतिम भुयान)
नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ने वाला पतला जलमार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य बंद हुआ तो इसका भारत की ऊर्जा सुरक्षा सहित वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर काफी प्रभाव होगा। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने रविवार को यह बात कही।
ईरान के तीन मुख्य परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमलों के बाद तेहरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के संकेत दिए हैं।
भारत के कुल तेल आयात का बड़ा हिस्सा इसी जलडमरूमध्य से होकर आता है। भारत अपनी 90 प्रतिशत कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है और अपनी प्राकृतिक गैस का लगभग आधा हिस्सा विदेश से खरीदता है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन के विशेष केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर लक्ष्मण कुमार बेहरा ने कहा कि इस रास्ते के बंद होने से ऊर्जा बाजारों में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा और इसका असर भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर भी होगा।
बेहरा ने कहा कि महत्वपूर्ण जल मार्ग में कोई भी व्यवधान इराक से भारत के कच्चे तेल के आयात और कुछ हद तक सऊदी अरब पर बड़ा असर डालेगा।
भारतीय नौसेना के पूर्व प्रवक्ता कैप्टन डी के शर्मा (सेवानिवृत्त), जो खाड़ी क्षेत्र में घटनाक्रमों पर करीबी नजर रखते हैं, ने भी कहा कि होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की ईरान की धमकी वैश्विक तेल व्यापार में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा कर सकती है।
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवधान बीमा प्रीमियम को प्रभावित कर सकता है, और तेल आवाजाही का मार्ग बदलना महंगा हो सकता है।
उन्होंने कहा, ”क्षेत्र में बढ़ते तनाव के कारण तेल की कीमतों में उछाल आने की उम्मीद है, कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि ईरान की जवाबी कार्रवाई करने पर कीमतें 80-90 डॉलर प्रति बैरल या 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।”
शर्मा ने यह भी कहा कि क्षेत्र के देशों की मुद्राओं में बड़ी अस्थिरता हो सकती है और निवेशक अन्य स्थिर बाजारों की तलाश कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक हालिया विश्लेषण के अनुसार होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरने वाले मार्ग में एक संक्षिप्त व्यवधान भी तेल बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।
भाषा पाण्डेय
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