नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) उद्योग मंडल एल्सीना ने सरकार के साथ एक अनुमान साझा किया है कि चीन द्वारा दुर्लभ मृदा धातुओं के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण देश के ऑडियो इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 21,000 से अधिक नौकरियां खतरे में हैं।
अप्रैल में, चीन ने टेरबियम और डिस्प्रोसियम जैसे दुर्लभ मृदा तत्वों पर सख्त निर्यात लाइसेंसिंग लागू की, जो उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग किए जाने वाले उच्च-प्रदर्शन वाले एनडीएफईबी (नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन) चुम्बक के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल हैं।
देश के सबसे पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग निकाय ने कहा कि इस कदम से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है, जिससे भारत के तेजी से बढ़ते श्रव्य और पहनने योग्य उपकरणों के क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है और उपकरण विनिर्माता चीन से पूरी तरह से तैयार स्पीकर मॉड्यूल आयात करने पर विचार कर रहे हैं।
एल्सीना ने रिपोर्ट में कहा, “इससे प्रतिगामी प्रवृत्ति पैदा होती है, जो कलपुर्जा विनिर्माण से वापस तैयार माल के आयात पर निर्भरता की ओर जाती है। स्पीकर और ऑडियो के कलपुर्जा विनिर्माण में, खासकर नोएडा और दक्षिण भारत में 5,000-6,000 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां और 15,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां खतरे में हैं।”
एल्सीना का अनुमान है कि दुर्लभ मृदा धातु आधारित चुम्बकों का हिस्सा कुल सामग्री का लगभग पांच-सात प्रतिशत है, तथा भारत अपनी एनडीएफईबी चुम्बक आवश्यकता का लगभग 100 प्रतिशत आयात करता है, जबकि चीन का हिस्सा कुल आयात का 90 प्रतिशत है।
उद्योग निकाय ने कहा कि आपूर्ति में कमी और प्रशासनिक अनियमितताओं के कारण चीन निर्मित चुम्बकों की कीमतें बढ़ गई हैं, तथा जापान, यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे अन्य स्रोत दो-तीन गुना महंगे हैं और भारत की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उनके पास पर्याप्त क्षमता भी नहीं है।
टेलीविजन बनाने वाली इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सेवा फर्म वीडियोटेक्स ने कहा कि दुर्लभ मृदा आधारित चुम्बक टेलीविजन विनिर्माण में महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से स्पीकरों के लिए, क्योंकि उनका प्रदर्शन बेहतर होता है और आकार छोटा होता है।
भाषा अनुराग पाण्डेय
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