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Monday, June 23, 2025

अवैध ढांचों के विरूद्ध कार्रवाई करने में महाराष्ट्र सरकार का विरोधाभास स्पष्ट नजर आता है: अदालत

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मुंबई, 22 जून (भाषा) पालघर जिले में एक अवैध ढांचे को गिराने का आदेश देते हुए मुंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि ऐसे ढांचों के खिलाफ कार्रवाई न करने एवं उल्लंघनकर्ता बिल्डरों और ‘डेवलपर्स’ को सुरक्षा प्रदान करने में राज्य (महाराष्ट्र सरकार) का विरोधाभास स्पष्ट दिखता है और वह अस्वीकार्य है।

न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खता की पीठ ने कहा कि कानून के संरक्षकों की निष्क्रियता के फलस्वरूप होने वाले अवैध कृत्य सामाजिक अशांति को जन्म देते हैं और सामाजिक ताने-बाने को बिगाडते हैं।

उच्च न्यायालय ने 17 जून को कहा, ‘‘हम इस बात का न्यायिक संज्ञान लेने के लिए बाध्य है कि स्थानीय प्रशासन, सक्षम प्राधिकारी और नगर निगम, नोटिस जारी करने के बाद परिणामकारी कार्रवाई करने जैसे कि ध्वस्तीकरण तथा इससे भी महत्वपूर्ण बात, कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने से नियमित रूप से बचते हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘‘उन ‘बिल्डर/डेवलपर्स (उल्लंघनकर्ताओं)’ से धनराशि (क्षतिपूर्ति) की वसूली केवल एक दूर का सपना है तथा अंतिम निर्णय लेने और कार्रवाई करने में दशकों लग जाते हैं।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी अवैध हरकतों के लिए जिम्मेदार ‘बिल्डर्स/डेवलपर्स’ के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस अब तक जवाबदेही या किसी दंडात्मक कार्रवाई से बचकर निकलते रहे हैं।

अदालत ने टिप्पणी की, ‘‘कानून-व्यवस्था के लिये जिम्मेदार लोगों की इन निष्क्रियताओं के कारण अवैधानिक कृत्य सामाजिक अशांति को जन्म देते हैं और सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ देते हैं।’’

खंडपीठ ने कहा कि राज्य ने इस कुव्यवस्था को रोकने के लिए कोई प्रभावी निवारक उपाय विकसित नहीं किया है।

अदालत ने कहा,‘‘…उल्लंघनकर्ताओं को अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा प्रदान करना अस्वीकार्य है। राज्य का विरोधाभास स्पष्ट है और हम इसे स्वीकार नहीं करते हैं।’’

अदालत ने यह आदेश एक व्यक्ति की याचिका पर पारित किया, जिसमें पालघर में अपनी जमीन पर तीन अन्य लोगों द्वारा किये गये अवैध और अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे इसलिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा, क्योंकि नगर निगम के अधिकारी ध्वस्तीकरण नोटिस जारी करने के बावजूद कार्रवाई करने में विफल रहे।

भाषा

राजकुमार प्रशांत

प्रशांत

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