वाराणसी (उप्र), 22 जून (भाषा) देश की प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी वाराणसी 24 जून को 10 जीआई (भौगोलिक संकेत)-टैग वाले उत्पादों की एक विशेष प्रदर्शनी की मेजबानी करेगी।
वाराणसी में पहली बार मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक प्रस्तावित है। इस महत्वपूर्ण बैठक के अलावा काशी के विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प जीआई टैग उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगेगी।
सरकार द्वारा रविवार को यहां जारी एक बयान के मुताबिक, परिषद की 25वीं बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मेजबान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल होंगे।
जीआई टैग उत्पादों की प्रदर्शनी में काशी के 10 विशिष्ट जीआई-टैग वाले उत्पाद प्रदर्शित होंगे। यह यहां के कारीगरों के हुनर और समृद्ध विरासत का प्रतीक हैं। यह आयोजन न केवल इन उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएगा बल्कि स्थानीय कारीगरों को भी प्रोत्साहित करेगा।
बयान के मुताबिक, प्रदर्शनी में बनारस ब्रोकेड एण्ड साड़ी, बनारस जरदोजी, बनारस गुलाबी मीनाकारी क्राफ्ट, बनारस ग्लास बीड्स, बनारस मेटल रिपोजी क्राफ्ट, बनारस मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, वाराणसी वुडेन लेकर एंड टॉयज, बनारस वुड कार्विंग, वाराणसी सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क और बनारस हैंड ब्लॉक प्रिंट जीआई उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा।
‘जीआई मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर पद्मश्री डॉक्टर रजनी कांत ने कहा कि यह आयोजन काशी के लिए गर्व का क्षण है। यह अपनी कला, संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है। भारत की बौद्धिक संपदा में शुमार जीआई उत्पादों की इस प्रदर्शनी से काशी के कारीगरों के हुनर को मंच मिलेगा।
उन्होंने बताया कि पूर्वांचल में 32 जीआई उत्पाद हैं, जिनसे करीब 20 लाख कारीगर जुड़े हैं। इसका सालाना कारोबार लगभग 25,500 करोड़ रुपये का है। राज्य सरकार की नीतियों और प्रयासों से उत्तर प्रदेश जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या के मामले में देश में शीर्ष पर है। वर्तमान में प्रदेश में 77 जीआई टैग उत्पाद हैं। यह राज्य की विविध कला और शिल्प परंपराओं, कृषि उत्पादों और विशिष्ट भौगोलिक पहचान को दर्शाता है।
कांत ने बताया कि 30 उत्पाद जीआई टैग मिलने की प्रक्रिया में हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश की यह उपलब्धि और भी मजबूत होगी।
भाषा सलीम
अनुराग
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