नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) कांग्रेस ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आंगनवाड़ी लाभार्थियों के लिए चेहरा पहचान प्रमाणीकरण (फेस रिकग्निशन) को अनिवार्य बनाने का आदेश देने को लेकर सोमवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह समाज के सबसे कमजोर वर्गों को सामाजिक कल्याण अधिकारों से बाहर करने के लिए व्यवस्थित रूप से प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही है।
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि डिजिटल इंडिया को सक्षम बनाना चाहिए न कि कमजोर करना चाहिए।
मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आंगनवाड़ी केंद्रों पर राशन वितरण और बच्चों की उपस्थिति की निगरानी के लिए एक अनिवार्य चेहरा पहचान प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘मोदी सरकार व्यवस्थित तरीके से तकनीक का इस्तेमाल देश के सबसे वंचित तबकों को सामाजिक कल्याण योजनाओं से मिलने वाले अधिकारों से वंचित करने के लिए कर रही है।’
उन्होंने कहा, ‘पहले, आधार को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर करोड़ों मज़दूरों को मनरेगा से बाहर कर दिया गया। एसिड अटैक सर्वाइवर्स को सिर्फ़ आधार में नाम जुड़वाने के लिए अदालत में लड़ाई लड़नी पड़ी। देश भर के आदिवासी आज भी तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से अपने राशन से वंचित रह जाते हैं।’
रमेश ने आरोप लगाया कि गर्भवती महिलाओं के सामने एक और बाधा खड़ी कर दी गई है- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिलने वाले बुनियादी और कानूनी अधिकारों के लिए अब ‘फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी’ (एफआरटी) अनिवार्य कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि दुनियाभर में इस बात के सबूत हैं कि एफआरटी जैसी तकनीक व्यक्ति के रंग और वर्ग के आधार पर भेदभाव करती हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘इससे पहले भी आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) ‘नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम’ ऐप जैसी तकनीक के विफल होने और रुकावट पैदा करने के सबूत सामने आ चुके हैं।’
रमेश के अनुसार, ‘‘संसद की शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति की 365वीं रिपोर्ट में भी इस बात का ज़िक्र किया गया था कि कैसे एबीपीएस को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में लागू करने से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लाभ बाधित हुए।
उन्होंने दावा किया, ‘इसका नतीजा ये हुआ कि जिस योजना के तहत 2019-20 में 96 लाख महिलाओं को भुगतान मिला था, वो घटकर 2023-24 में सिर्फ 27 लाख रह गया।’
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘डिजिटल इंडिया का मकसद सशक्तिकरण होना चाहिए, न कि अधिकार छीनना। भाषण समावेश का, व्यवहार बहिष्कार का- ये बात नहीं होनी चाहिए।’
भाषा हक सुरभि नरेश
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