मलप्पुरम (केरल), 23 जून (भाषा) केरल में पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार को करारा झटका देते हुए विपक्षी दलों का गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) सोमवार को नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव में बढ़त बनाते हुए जीत की ओर बढ़ चुका है।
आखिरी दौर की गणना के समाप्त होने तक कांग्रेस पार्टी नीत यूडीएफ के उम्मीदवार शौकत आर्यदान ने सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के उम्मीदवार पर 11,077 मतों की बढ़त बनाए हुए थे।
शौकत दिवंगत वरिष्ठ कांग्रेस नेता आर्यदान मुहम्मद के पुत्र हैं जबकि स्वराज माकपा के राज्य सचिवालय के सदस्य हैं।
वाम उम्मीदवार ने शौकत को बधाई दी।
स्वराज ने कहा कि एलडीएफ नतीजों का बारीकी से विश्लेषण करेगा। हालांकि उन्होंने वाम सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बात को खारिज कर दिया।
शौकत ने कहा कि परिणाम अपेक्षित था।
उन्होंने, ‘‘केरल के लोगों की बदौलत जीत अपेक्षित थी जो एलडीएफ सरकार के खिलाफ बड़ी जीत है।’’
निर्दलीय उम्मीदवार और दो बार के विधायक रहे पी. वी. अनवर ने नीलांबुर सीट पर उपचुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए यूडीएफ और एलडीएफ दोनों को हैरान कर दिया।
बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे तृणमूल कांग्रेस के अनवर ने 18वें दौर की गणना के बाद 18,823 वोट प्राप्त किए थे जो भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मोहन जॉर्ज को मिले 8,241 मतों से काफी अधिक थे।
मतगणना सुबह आठ बजे चुंगथारा मार थोमा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शुरू हुई।
शौकत के स्वराज पर बढ़त हासिल करने पर नीलांबुर और केरल के कुछ हिस्सों में यूडीएफ खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई।
कांग्रेस नेता और केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने उपचुनाव में चुनाव प्रचार अभियान का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि यूडीएफ 2026 में सत्ता हासिल करेगा।
सतीशन ने ‘फेसबुक’ पोस्ट में कहा, ‘‘जब समर्पित कार्यकर्ता और नेता होते हैं जो पूरे दिल से मोर्चे से प्यार करते हैं… यूडीएफ लोगों का दिल जीत लेगा। यह यूडीएफ है, एक ‘यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ (संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा) जो एक पार्टी की तरह काम करता है। 2026 में यूडीएफ एक तूफान की तरह वापस आएगा।’’
सबसे पहले डाक मतपत्रों की और उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में दर्ज मतों की गिनती शुरू की गई।
नीलांबुर सीट विधायक पी. वी. अनवर के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई थी, जहां सत्तारूढ़ एलडीएफ और यूडीएफ के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला।
एलडीएफ सरकार के मौजूदा कार्यकाल का यह चौथा साल है और चुनावी विश्लेषक इस उपचुनाव को एलडीएफ सरकार के लिए मध्यावधि परीक्षा के रूप में देख रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के लिए यह जीत अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले उसका मनोबल बढ़ाने का काम करेगी।
भाषा सुरभि मनीषा नरेश
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