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Tuesday, June 24, 2025

“लुधियाना पश्चिम में आप का कब्जा बरकरार, संजीव अरोड़ा ने कांग्रेस को 10,637 वोटों से हराया”

Fast News"लुधियाना पश्चिम में आप का कब्जा बरकरार, संजीव अरोड़ा ने कांग्रेस को 10,637 वोटों से हराया"

लुधियाना (पंजाब), 23 जून (भाषा) पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। ‘आप’ उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने कांटे की टक्कर में अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी एवं कांग्रेस प्रत्याशी भारत भूषण आशु को सोमवार को 10,637 मतों के अंतर से हराया।

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, अरोड़ा को 35,179 वोट मिले जबकि आशु को 24,542 वोट मिले।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जीवन गुप्ता को 20,323 वोट मिले जबकि शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी परोपकार सिंह घुम्मण को 8,203 वोट मिले।

‘आप’ के विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के जनवरी में निधन के बाद यह सीट रिक्त हो गई थी और यहां चुनाव आवश्यक हो गया था।

इस विधानसभा सीट पर 19 जून को हुए उपचुनाव में डाले गए मतों की गिनती यहां खालसा कॉलेज फॉर वीमेन में स्थापित एक केंद्र में सुबह आठ बजे शुरू हुई।

‘आप’ की जीत के बाद लुधियाना में अरोड़ा के आवास और पार्टी कार्यालय में जश्न शुरू हो गया। उनके परिवार के सदस्य और समर्थक विधानसभा उपचुनाव में उनकी जीत से काफी खुश नजर आए।

‘आप’ नेताओं और कैबिनेट मंत्रियों ने मिठाइयां बांटी और अरोड़ा की जीत पर ‘ढोल’ की थाप पर नाचे।

पार्टी के यह सीट बरकरार रखने के साथ ही 117 सदस्यीय विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या पहले के समान है।

सदन में ‘आप’ के 94 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 16, शिअद के तीन, भाजपा के दो और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक विधायक है, जबकि एक सीट निर्दलीय के पास है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पार्टी की जीत के लिए लोगों को बधाई देते हुए कहा कि भारी बढ़त के साथ यह जीत स्पष्ट संकेत है कि राज्य के लोग सरकार के काम से ‘‘बेहद खुश’’ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम पंजाब की प्रगति और समृद्धि के लिए पूरी ईमानदारी और बिना किसी भेदभाव के दिन-रात काम कर रहे हैं।’’

मान ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हम उपचुनाव के दौरान पंजाबियों से किए गए हर वादे को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करेंगे। संजीव अरोड़ा जी को बधाई। साथ ही, पूरे नेतृत्व और स्वयंसेवियों को भी बहुत-बहुत बधाई जिन्होंने इस जीत के लिए दिन-रात अथक मेहनत की।’’

‘आप’ की पंजाब इकाई के अध्यक्ष अमन अरोड़ा के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने लुधियाना में विजय जुलूस निकाला।

कांग्रेस नेता राणा गुरजीत सिंह ने उपचुनाव के नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी जनता के फैसले को स्वीकार करती है।

मतगणना की शुरुआत से ही ‘आप’ प्रत्याशी अरोड़ा ने बढ़त बनायी हुई थी लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी आशु ने चौथे, पांचवें और छठे चरण की मतगणना में बढ़त बना ली और इस दौरान अरोड़ा की जीत का अंतर कम हो गया।

शुरुआती तीन चरणों की मतगणना के बाद अरोड़ा 3,060 वोटों के अंतर से आगे थे, जो छठे चरण के बाद घटकर 2,286 वोट रह गया। हालांकि, सातवें चरण से अरोड़ा का मतों का अंतर फिर बढ़ने लगा।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, उपचुनाव में कुल 90,160 वोटों में से अरोड़ा को 39.01 प्रतिशत वोट मिले, जबकि आशु को 27.22 प्रतिशत और गुप्ता को 22.54 प्रतिशत वोट मिले।

शिअद प्रत्याशी घुम्मण को महज 9.1 प्रतिशत वोट मिले।

परिणामों के अनुसार, 793 वोट ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) को मिले।

अपनी जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए अरोड़ा ने लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट के मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने उपचुनाव में अपनी जीत के लिए ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री मान का भी आभार जताया।

‘आप’ ने राज्यसभा सदस्य और लुधियाना के उद्योगपति अरोड़ा (61) को उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया था।

कांग्रेस प्रत्याशी आशु ने अरोड़ा की जीत के लिए उन्हें बधाई दी और लुधियाना के विकास के लिए उन्हें पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया।

आशु ने कहा कि वह उपचुनाव में अपनी हार की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं और उपचुनाव में उन्हें पार्टी का पूरा समर्थन मिला है।

आशु 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के गोगी से 7,512 मतों के अंतर से हार गए थे। आशु 2012 और 2017 में इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं।

उपचुनाव के लिए 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे।

उपचुनाव में 51.33 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया जो 2022 के विधानसभा चुनाव में दर्ज 64 प्रतिशत मतदान से काफी कम है।

इस उपचुनाव को भगवंत मान के नेतृत्व वाली ‘आप’ सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए एक कठिन परीक्षा के रूप में देखा जा रहा था जिन्होंने इस सीट को बरकरार रखने के लिए आक्रामक रूप से प्रचार अभियान चलाया था।

केजरीवाल नीत पार्टी के लिए यह जीत बहुत महत्वपूर्ण है जिसे इस साल की शुरुआत में दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली थी।

इस जीत से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा क्योंकि उपचुनाव को एक ऐसे चुनावी मुकाबले के रूप में देखा जा रहा था जो 2027 के राज्य विधानसभा चुनावों की दिशा तय करेगा।

भाषा

गोला नरेश

नरेश

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