नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) खुदरा ऋण बाजार में वित्त वर्ष 2024-25 की अंतिम तिमाही में नए कर्ज की उत्पत्ति पांच प्रतिशत की धीमी रफ्तार से बढ़ी जबकि एक साल पहले इसकी वृद्धि दर 12 प्रतिशत थी। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
फरवरी, 2025 में भारतीय रिजर्व बैंक ने लंबे अंतराल के बाद रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। इसके बावजूद नए ऋणों की उत्पत्ति (ऋण की मांग और आपूर्ति का आंशिक उपाय) मार्च तिमाही में नरमी रही।
ट्रांसयूनियन सिबिल की ऋण बाजार पर जारी जून, 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नरमी के अलावा अन्य कारकों ने ऋण बाजार संकेतक (सीएमआई) को दो साल के निचले स्तर 97 पर धकेल दिया।
उच्च सीएमआई आंकड़े से यह संकेत मिलता है कि ऋण बाजार की सेहत में सुधार है, जबकि कम नंबर स्थिति में गिरावट का संकेत देता है।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘35 साल उससे कम उम्र के उपभोक्ताओं के बीच ऋण मांग में कमी अधिक देखी गई। इस वजह से ऋणदाताओं द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले नए ऋण उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी में उसी समय तीन प्रतिशत अंक की कमी आई।’’
हालांकि, इसने कहा कि जनवरी से मार्च, 2025 तक क्रेडिट कार्ड की चूक में मासिक आधार पर लगातार गिरावट के जरिये ऋण प्रदर्शन में सुधार के संकेत मिले हैं।
युवा उपभोक्ताओं की ओर से कर्ज की मांग में कमी जनवरी-मार्च, 2025 तिमाही के लिए 35 वर्ष या उससे कम उम्र के लोगों की पूछताछ में कमी आने से स्पष्ट थी। एक साल पहले की समान तिमाही में यह हिस्सेदारी 58 प्रतिशत थी लेकिन पिछली तिमाही में यह घटकर 56 प्रतिशत पर आ गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, व्यक्तिगत कर्ज को छोड़कर अन्य सभी ऋण उत्पादों की मात्रा में वृद्धि मूल्य में वृद्धि की तुलना में कम रही।
इसके अलावा महंगे घरों और दोपहिया वाहन ऋण की हिस्सेदारी बढ़ने से पता चलता है कि ऋणदाता अधिक मूल्य वाली संपत्तियों पर कर्ज को प्राथमिकता दे रहे हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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