नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि वहनीयता अब एक नारा नहीं बल्कि एक जरूरत बन चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी में ‘इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ के 12वें राष्ट्रीय छात्र दीक्षांत समारोह 2025 में राष्ट्रपति ने यह बात कही।
राष्ट्रपति ने कहा, ”हमारे पूरे इतिहास में समाज में लेखाकारों को उच्च सम्मान मिला है। मेरी राय में इसका कारण यह है कि लेखांकन और जवाबदेही गहराई से जुड़े हुए हैं। हम जवाबदेही को महत्व देते हैं, इसलिए हम लेखांकन को विशेष महत्व देते हैं।”
मुर्मू ने अपने भाषण में महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका पहुंचाने वाले अदालती मामले का भी उल्लेख किया, जो बहीखाता मामलों पर केंद्रित था।
राष्ट्रपति ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और बाद में भारत लौटकर गांधी जी ने उन सार्वजनिक निकायों के धन का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बहुत सावधानी बरती, जिनसे वे जुड़े थे।
उन्होंने कहा, ”उनके लिए किफायत जीवन का हिस्सा था। यह पैसे बचाने के बारे में नहीं, बल्कि अमूल्य और अपूरणीय संसाधनों को बचाने के बारे में है।”
जलवायु परिवर्तन के संकट का उल्लेख करते हुए मुर्मू ने कहा, ‘‘ वहनीयता अब एक नारा नहीं रह गया है, बल्कि यह एक जरूरत बन गई है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि अब वह समय नहीं है कि कॉरपोरेट संगठन केवल लाभ कमाने के लिए काम करें, अब उन्हें पर्यावरणीय लागतों को भी ध्यान में रखना होगा।
मुर्मू ने कहा, ‘‘इसमें आप (लागत लेखाकार) अपने कौशल से ग्रह के भविष्य में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि लेखांकन और जवाबदेही का गहरा संबंध है।
कार्यक्रम में कॉर्पोरेट मामलों की सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी ने लागत एवं प्रबंधन लेखाकारों से प्रौद्योगिकी, नवाचार और तत्परता अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि देश को 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सफर में लागत और प्रबंधन लेखाकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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